मेरी प्यासी चूत को मोटा लौड़ा मिल गया – Crazy Sex Story

मेरी प्यासी चूत को मोटा लौड़ा मिल गया – Crazy Sex Story

Cute Punjabi Girl Chudai

मेरा नाम निमरत है, मेरी उम्र 24 साल है, मैं खाते पीते परिवार की हूँ और चंडीगढ़ में रहती हूँ। आप तो जानते ही हैं पंजाबी लड़कियाँ जितनी खूबसूरत होती हैं उतनी ही चुदक्कड़ भी होती हैं और चुदाई का भरपूर मज़ा लेती और देती हैं। फिर मैं तो पूरी पटोला हूँ। Cute Punjabi Girl Chudai

एक खास बात आपको बता दूँ, मेरे नितम्ब बचपन से ही बहुत भारी और कामुक हैं। इसलिए मेरे पीछे लौंडे लपाड़ों ने घूमना शुरू कर दिया था। मैं जब अपने कूल्हों को खूब मटका मटका कर चलती थी तो लोगों के दिलों पर बिजलियाँ ही गिर जाती थी। मेरे मटकते कूल्हों की थिरकन देखकर कई तो अपने अंडरवीयर में ही घीया हो जाया करते थे।

मैंने अपनी स्कूल की पढ़ाई कन्या विद्यालय से की थी। उस समय भी क्लास के मास्टर किसी ना किसी बहाने मेरे नितंबों को दबाने से बाज नहीं आते थे। उस चश्मू मास्टर की तो बात ही छोड़ो। उसकी काइयां आँखें तो मेरी स्कर्ट के नीचे दोनों जांघों के बीच ही उलझी रहती थी।

दरअसल स्कूल की सभी लड़कियाँ स्कर्ट और छोटी कच्छी ही पहनती थी। मेरी जांघें और चूत की फाँकें थोड़ी मोटी हैं तो कच्छी मेरी चूत की फाँकों में फंस जाया करती थी। मैं कई बार अपना हाथ स्कर्ट के नीचे डाल कर कच्छी को थोड़ा बाहर खींचा करती थी। हरामी चश्मू तो बस इसी ताक में रहता था कि कब मैं अपनी जांघें थोड़ी चौड़ी करूँ और कब वो मेरी मखमली जांघों का दीदार कर पाए।

और जब भी कोई गलती हो जाती या होम वर्क में कोई गलती हो जाती तो वो मेरे गालों पर थप्पड़ भी लगता और नितंबों पर चिकोटी भी काटता। खैर ये पुरानी बातें हैं। एक और घटना का जिक्र मैं जरूर करूँगी। मैं जब 12th में थी तब एक शादी में अपने ननिहाल गई थी। उस समय मेरे मामा के लड़के ने जो मेरी ही उम्र का था उसने मुझे अपनी बाहों में भर कर चूम लिया था। मेरे सारे शरीर में एक अनोखा रोमांच भर गया था। आज भी कई बार मैं उस प्रथम चुंबन को याद करके रोमांच में डूब जाती हूँ।

बात उस समय की है जब मैं बी.सी.ए. करने कॉलेज में नई नई गई थी। मेरी उभरे हुए बूब्स और मोटे नितंबों का तो पूरा कॉलेज ही दीवाना बन गया था। जैसे कि सब जवान होती लड़कियों के साथ होता है मेरे जेहन में भी बहुत से सवाल आते थे। जैसे सेक्स क्या होता है ? क्या उसमें लड़की को भी मज़ा आता है ? पहली चुदाई में दर्द तो नहीं होता ? ।

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मैंने कई बार मम्मी पापा के कमरे से कामुक सिसकारियाँ और आवाज़ें सुनी हैं। पहले तो मुझे इन बातों का मतलब समझ नहीं आता था पर बाद में मुझे सब समझ आने लगा था। मेरी ज्यादातर सहेलियों ने अपने अपने पप्पू (बॉय फ्रेंड) बना रखे थे और वो अक्सर अपने पप्पुओं के बारे में मज़े ले ले कर बताती थी कैसे उनको पपलू बनाया।

वो ब्लू फिल्मों के बारे में भी बताया करती थी और कई तो चुदाई के किस्से भी सुनाया करती थी। कनिका (मेरी एक सहेली) तो अपने मोबाइल पर ब्ल्यू फिल्म भी देखती थी। एक दो बार मुझे भी उसने क्लिप दिखाई थी। उसके बाद तो मेरी चूत में भी खुजली होने लगी थी। मैंने भी अपनी चूत में अंगुली करनी शुरू कर दी थी। पर अब मुझे भी एक अदद लंड की सख्त जरूरत महसूस होने लगी थी।

फिर मैंने भी अपना एक पप्पू बना ही लिया। वो मेरे से एक क्लास आगे था। नाम था अमनदीप। उसका रंग गोरा था, गालों में लड़कियों की तरह डिंपल, चाल लड़कियों की तरह। मोटी मालदार आसामी की औलाद था, सोचा कि माँ बाप का दहेज बचा लूं। मैंने उसके साथ सपने देखने शुरू कर दिए थे।

उसके ज्यादा दोस्त नहीं थे बस एक पहलवान टाइप का लड़का हर समय उसके साथ चिपका रहता था। उसका रंग थोड़ा सांवला सा था और चहरे पर छोटी छोटी दाढ़ी रखता था। पहले तो उसने मेरी ओर ध्यान ही नहीं दिया पर मेरे नितम्बों की थिरकन और आँखों की चंचल चितवन से कब तक बचता।

फिर हम दोनों में दोस्ती हो गई और हम कई बार कॉलेज से बंक मारकर सिनेमा या पार्क में चले जाते कभी रेस्टोरेंट में। पर मैंने महसूस किया कि वो बेकार की बातें ज़्याद करता था। पहला किस भी मेरे बहुत जोर देने पर हमारी दोस्ती के लगभग 3 महीने बाद लिया था।

कई बार तो मुझे उसके इस लल्लूपने पर गुस्सा भी आता था पर फिर उसकी मासूमियत देख कर प्यार भी आ जाता था। आपको तो पता ही है ऐसे पप्पू बहुत अच्छे पति साबित होते हैं। इनको अपनी चूत से चिपका कर सारी उम्र पपलू बनाकर रखा जा सकता है। अपने मालदार माँ बाप की अकेली औलाद था।

मैंने सोच लिया था की अपने माँ बाप का दहेज का कुछ बोझ हल्का कर दूँ। मैंने सोच लिया था कॉलेज की पढ़ाई के बाद हम शादी कर लेंगे। मुझे बड़ी हैरानी होती थी कि जब भी मैं कोई रोमाँटिक या सेक्स के टॉपिक पर बात करती तो वो किसी बहाने से बात को बदल दिया करता था।

सच कहूँ तो इसकी जगह कोई पंजाबी गबरू होता तो कभी का मेरी चूत और गांड दोनों की ठुकाई कर चुका होता। पर मैं उसके शर्मीलेपन को जानती थी। फिर मैंने एक दिन अपनी सहेली को इस बात के लिए मना लिया कि जिस दिन उसके घर वाले कहीं बाहर गये होंगे, वो मुझे अपने घर पर बुला लेगी और फिर मैं अपने इस पप्पू के साथ मजे से गुटरग़ूँ कर लूंगी।

आखिर एक दिन हमें वो मौका मिल गया। मेरी सहेली के माँ बाप दोनों किसी शादी में गये थे। आप तो जानते ही हैं कि पंजाब में शादियाँ दिन में भी होती हैं। घर पर कोई नहीं था। इससे अच्छा मौका फिर कहाँ मिलता। हम दोनों उसके घर पहुँच गये। कनिका (मेरी सहेली) ने हमें अपने कमरे में अकेला छोड़ दिया और बाहर चली गई।

हमने चूमा चाटी शुरू कर दी। पर अमनदीप तो उसे आगे ही नहीं बढ़ रहा था। पता नहीं क्या बात थी। वो डर रहा था या कोई और बात थी। मैं बहुत गर्म हो चुकी थी। मेरी चूत तो बेचारी रोने ही लगी थी। मैंने पैंट के उपर से उसका लंड पकड़ना चाहा तो वो कुनमुनाने लगा और बोला- नहीं निम्मी, यह सब ठीक नहीं है।

मुझे लगा उसका खड़ा ही नहीं हुआ है वरना ऐसी हालत में तो लंड पैंट फाड़कर बाहर आ जाता है। फिर वो चलने को बोलने लगा। इतनी मुश्किल के बाद मौका मिला था और ये लल्लू उस रसीले फल को वर्जित फल समझ कर खाने से इनकार कर रहा है जो इस संसार को अमरता देता है। मुझे तो इतना गुस्सा आ रहा था कि इसकी गांड पर जोर से एक लात ही लगा दूँ।

इससे पहले कि मैं कुछ करती, कनिका ने दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया। उसने बताया कि उसका भाई कॉलेज से आ गया है। मज़बूरन हमें बिना कुछ किए धरे वापस आना पड़ा। मेरा मूड खराब हो गया, मैंने 2-3 दिन उससे बात नहीं की। लेकिन फिर मैं अपने आप को नहीं रोक पाई।

अमनदीप ने एक बार मुझे अपने एक दोस्त (भानु) के बारे में बताया था कि वो किसी किराए के मकान में अकेला ही रहता है। मुझे पता है अमनदीप कई बार उसके साथ जाया करता था। मैंने अमनदीप को इस बात के लिए मना लिया कि किसी दिन हम दोनों उसके कमरे में जाकर अपने मन की मुराद पूरी कर लेते हैं। अमनदीप बड़ी मुश्किल से तैयार हुआ।

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अमनदीप अपने दोस्त से उसके कमरे की चाबी ले आया और हम दोनों बाइक से उसके कमरे में आ गये। हमने अंदर से कुण्डा (सांकल) लगा लिया। कमरे में एक बेड पड़ा था। कमरे में आते ही मैं उसे चिपक गई। फिर हम दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपटे बेड पर आ गये। “Cute Punjabi Girl Chudai”

मैं चाहती थी वो अपने हाथों से मेरे कपड़े उतारे। पर वो तो पता नहीं क्या सोचे जा रहा था। मेरे चुंबनो का भी कोई उत्तर नहीं दे रहा था। मैंने अपनी सलवार और कुर्ती उतार दी। अब मैं सिर्फ ब्रा और पेंटी में ही थी। मैंने उसकी पेंट की जीप को खोलने की कोशिश की तो वो फिर से कुनमुनाने लगा। मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर लगा लिया। मेरी चूत इस समय पूरी गीली हो चुकी थी। साँसें बहुत तेज़ हो गई थी।

“ओह… अमनदीप… प्लीज मुझे कसकर अपनी बाहों में भर लो ना?” मेरा अंग अंग रोमांच में डूबा था। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और आने वाले सुनहरे पलों के इंतज़ार में डूब गई। मैं चाहती थी आज अमनदीप मुझे बाहों में भरकर मेरे और अपने सारे अरमान पूरे कर ले। अमनदीप ने मेरी ब्रा खोल दी और मेरे उरोजों को चूमने लगा। मेरी चूत फिर से टसुवे बहाने शुरू कर दिए थे।

“आ … वो… सु…. सु… निम्मी…”

“ह्म्म…?”

“वो … दरअसल यह सब ठीक नहीं है… कोई आ जाएगा ? निम्मी…. चलो अब चलते हैं…”

“ओहो… थोड़ी देर रुको ना !” मैंने आँखें बंद किए हुए ही कहा।

“नहीं मैं जा रहा हूँ… तुम्हें चलना हो तो चलो… नहीं तो मैं जा रहा हूँ…”

वो अचानक बेड से उठा और कमरे से बाहर जाने लगा। मैंने सोचा शायद मज़ाक कर रहा है। अभी वापस आकर मुझे अपने आगोश में ले लेगा। मैं इसी तरह बेड पर पड़ी रही। एक हाथ से अपने बूब्स मसल रही थी और एक हाथ से अपनी पेंटी के ऊपर से अपनी गीली चूत को सहला रही थी। “Cute Punjabi Girl Chudai”

अचानक मुझे अपने चेहरे पर गर्म साँसें महसूस हुई। मैं जानती थी वो जरूर आएगा। मैंने आँखे बंद किए हुए ही अपनी बाहें फैला दी। वो मेरे बाहों में आ गया और अपने होंठों को मेरे होंठों से लगा कर चूमने लगा। मैंने उसे कस कर अपनी बाहों में भींच लिया। उसका एक हाथ मेरे बूब्स को दबाने लगा और एक हाथ मेरी पेंटी पर लगा कर मेरी चूत को मसलने लगा।

मैंने महसूस किया उसने केवल अंडरवीयर ही पहना है। उसके लंड का अहसास मुझे पहली बार हुआ। मैंने हाथ बढ़ा कर अंडरवीयर के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ लिया। मेरा अंदाज़ा था वो 6 इंच से कम नहीं होगा। मोटा भी लग रहा था।

मेरा तो मन कर रहा था जल्दी से इसे पकड़ कर खुद ही अपनी कुलबुलाती चूत में डाल लूँ। अचानक मुझे अपने होंठों पर कुछ उसकी दाढ़ी सी चुभती महसूस हुई। पर अमनदीप का चेहरा तो बिल्कुल चिकना था? मैंने आँखें खोली तो मैंने देखा मेरी बाहों में अमनदीप नहीं कोई और है। “Cute Punjabi Girl Chudai”

मैंने उसे जोर से धक्का देते हुए अपने ऊपर से उठाया और जोर से चिल्लाई “क…क… कौन हो तुम…? वो… वो… अमनदीप कहाँ है ?”

“अरे मेरी जान उस गांडू के पल्ले कुछ नहीं है जो तुम उसका इंतज़ार कर रही थी…?”

ओह… यह तो अमनदीप का दोस्त भानु था। मैं झट से उसकी गिरफ्त से दूर हो गई और बेड पर पड़े अपने कपड़ों को उठा कर अपने नंगे बदन को छुपाने लगी।

भानु मेरे पास आकर हँसते हुए बोला,“मेरी जान इतना क्यों शर्मा रही हो?”

मैं अपने कपड़े पहनना चाहती थी। पर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।

“प्लीज … भानु… मुझे जाने दो…. ?” मैंने उसका हाथ झटकते हुए कहा।

“देखो निमरत, मैं तुम्हारे साथ कोई जोर ज़बरदस्ती नहीं करना चाहता !”

मेरे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। हे भगवान ! मैं कैसी मुसीबत में फंस गई। मैं जल्दी से जल्दी वहाँ से निकल जाना चाहती थी।

“निमरत … देखो तुम भी जवान हो और मैं भी। मैं जानता हूँ तुम अमनदीप से प्रेम करती हो पर शायद तुम्हें पता ही नहीं वो किसी लड़की के साथ कुछ करने के काबिल ही नहीं है !”

“क… क्या मतलब?”

“ओह… मैं तुम्हारा दिल नहीं दुखाना चाहता पर यह सच है उसका खड़ा ही नहीं होता ! और वो…. वो…”

“प्लीज बताओ ना?” मुझे थोड़ा अंदेशा तो था पर विश्वास नहीं हो रहा था।

दरअसल वो लड़के के शरीर में एक लड़की है !”

“क्या मतलब?” मैंने हैरानी से उसकी ओर देखते हुए पूछा,“तुम कैसे जानते हो?”

“तुम क्या सोचती हो, वो रोज़ मेरे पास जलेबी खाने आता है?” उसके होंठों पर रहस्यमयी मुस्कान थी।

“ओह…” मुझे थोड़ा शक़ तो पहले भी था पर आज यह यकीन में बदल गया।

उसने आगे बढ़कर फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया और फिर अपनी बाहों में भर लिया। मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था।

“देखो निमरत… मैं बहुत दिनों से तुम्हारे प्यार में पागल हुआ जा रहा हूँ। तुम भी जवान हो… क्यों अपने आप को तड़फा रही हो। आओ उस वर्जित फल को खाकर अपना जीवन धन्य कर लें !” उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया और मेरी पीठ और नितंबों पर हाथ फिराने लगा।

मेरे सारे शरीर में सनसनाहट सी होने लगी थी। मेरी चूत तो फाड़कने ही लगी थी। इतनी गीली तो कभी नहीं हुई थी। रोमांच से मेरा सारा शरीर कांपने लगा था। मेरा मन दुविधा में था। मन कह रहा था कि यह गलत होगा पर शरीर कह रहा था इस आनंद के सागर में डुबकी लगा लो। मेरी एक सिसकारी निकल गई।

भानु ने मेरा सिर अपने हाथों में थाम लिया और अपनी होंठों को मेरे गुलाबी होंठों से लगा दिया। आह… एक मीठा सा अहसास मेरी रगों में दौड़ने लगा। आज तक ऐसा रोमांच कभी नहीं महसूस हुआ था। अब मैंने भी उसे जोर से अपनी बाहों में कस लिया और उसके चुंबन का जवाब उसके होंठों को चूस कर देने लगी।

कोई 5 मिनट हम दोनों एक दूसरे को चूमते रहे। फिर हम बिस्तर पर आ गये। मैं बिस्तर पर लेट गई। मेरी आँखें अपने आप मुंदने लगी थी। उसने अपने होंठ मेरे अधरों से लगा दिए और अपना एक हाथों से मेरे कसे हुए उरोजों को मसलने लगा। मैं उसके स्पर्श के आनंद को शब्दों में नहीं बता सकती।

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मेरी सिसकारियाँ निकलने लगी। मेरे चुचूक तनकर भाले की नोक की तरह नुकीले हो गये थे। अब वो मेरे ऊपर आ गया और उसने मेरा एक चुचूक अपने मुँह में भर लिया। अब मुझे अपनी जांघों पर उसके तगड़े लंड का अहसास हुआ। मेरे शरीर में करंट सा दौड़ने लगा। मैंने नारी सुलभ लज्जा के कारण अपने आप को बहुत रोकने की कोशिश की पर उसके लंड को पकड़ने के लोभ से अपने आप को ना रोक पाई।

मैंने अंडर वीयर के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ लिया और उसे मसलने लगी, मेरा मन करने लगा अब इसे अपनी चूत में ले ही लेना चाहिए। अचानक भानु मेरे उपर से उठ खड़ा हुआ और उसने अपना अंडरवीयर उतार फेंका। “Cute Punjabi Girl Chudai”

अब उसका 6.5 इंच लंबा मोटा लंड मेरी आँखों के सामने था। उसका लाल टमाटर जैसा सुपारा किसी मशरूम जैसा लग रहा था। मैं आँखें फाड़े उसे देखती ही रह गई। मेरा मन उसे चूम लेने को करने लगा था। पर शर्म के मरे मैं ऐसा नहीं कर सकी।

“निमरत इसे चूम कर नहीं देखोगी?” उसने अपने हाथ से लंड को हिलाते हुए कहा।

“नहीं मुझे शर्म आती है।”

“मेरी जान एक बार लेकर तो देखो…. सारी शर्म और झिझक मिट जाएगी।”

वो अपने घुटनों के बल खड़ा था। उसके लंड का सुपारा मेरी आँखों के सामने था। उसका आकर्षक रूप मेरे मन को विचलित करने लगा था। वो थोड़ा सा आगे झुका तो मैंने एक हाथ से उसका लंड पकड़ लिया। मेरी नाजुक अंगुलियों का स्पर्श पाते ही वो झटके से मारने लगा जैसे कोई अड़ियल घोड़ा काठी डालने पर उछल पड़ता है।

उसके सुपारे पर प्री-कम की बूँद ऐसे चमक रही थी जैसे कोई सफेद मोती हो। मैंने उसके सुपारे को चूम लिया। उसकी खुशबू और प्री कम के स्वाद ने पता नहीं मेरे ऊपर क्या जादू सा कर दिया कि मैं उसे मुँह में लेकर चूसने लगी। भानु की तो आहें ही निकलने लगी थी।

उसने मेरा सिर पकड़ लिया और हौले-हौले मेरे मुँह में अपना लंड ठेलने लगा। अब मेरी भी शर्म और झिझक खुल गई थी। मैं मज़े से उसका लंड चूसती रही, कभी उसे मुँह में ले लेती कभी उसे बाहर निकाल कर उस पर अपनी जीभ फिराती…. कभी उसकी गोटियाँ सहलाती। कुछ देर बाद जब मेरा मुँह दुखने लगा तो मैंने उसका लंड बाहर निकाल दिया।

मेरी चूत में तो इस समय भूचाल सा आ गया था। मुझे लगने लगा था कि उसमें तो जैसे आज आग ही लग गई है। अब उसने मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरी पेंटी उतार दी। मुझे शर्म तो आ रही थी पर मैंने अपने कूल्हे ऊपर करके पेंटी उतारने में उसकी मदद की। आपको बता दूँ कि मैं अपनी चूत के बाल कैंची से ट्रिम करती हूँ। कोई बाल सफा क्रीम या रेज़र इस्तेमाल नहीं करती। इसीलिए मेरी चूत की फाँकों और आस पास की त्वचा बिकुल गोरी है। “Cute Punjabi Girl Chudai”

मेरी इस रसभरी को देख कर वो बोला,“हू लाला… निमरत… तुम्हारी मुनिया तो मक्खन मलाई है यार…?” कहते हुए उसने मेरी चूत पर एक चुम्मा ले लिया।

मेरा मन भी कर रहा था कि कह दूँ,”तुम्हारा पप्पू भी बहुत प्यारा है।” पर शर्म के मरे में कुछ नहीं बोल पाई ! बस एक मीठी सीत्कार मेरे मुंह से निकल गई।

मेरे शरीर में गुदगुदी सी होने लगी थी। मन कर रहा था कि भानु जल्दी से अपना लंड मेरी इस बिलबिलाती चूत में डाल कर मेरी चूत की आग को ठंडा कर दे। भानु अब मेरी चूत पर हाथ फिराने लगा। उसने एक हाथ से अपना लंड पकड़े उसे हिलाए जा रहा था।

फिर उसने अपना लंड मेरी चूत के मुहाने पर रख दिया। मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था पर इस नये अनुभव से मैं रोमांच में डूब गई। मैं जानती थी पहली बार में बहुत दर्द होता है पर मैं उस मज़े को भी लेना चाहती थी।

मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और अपने दांत भींच लिए,“प्लीज भानु… कण्डोम लगा लेना !”

“पर कण्डोम से मज़ा नहीं आएगा !”

“ना बाबा मैं कोई रिस्क नहीं ले सकती !”

“चलो ठीक है।” कह कर पास पड़ी पैंट की जेब से कण्डोम का पैकेट निकाला।

“प्लीज धीरे करना… ज्यादा दर्द तो नहीं होगा ना?”

“मेरी रानी, तुम बिल्कुल चिंता मत करो !”

उसने कण्डोम अपने लंड पर चढ़ा लिया और फिर मेरे ऊपर आ गया। उसने अब एक हाथ मेरे सिर के नीचे लगाया और एक हाथ मेरी बगल के नीचे से करते हुए मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। मैंने डर के मारे अपनी चूत को अंदर से भींच लिया।

इसके साथ ही उसने एक धक्का लगाया तो उसका सुपारा ऊपर की ओर फिसलता हुआ मेरे दाने से रगड़ खाने लगा। उसने ऐसा 2-3 बार किया। उसका लंड मेरे चूत रस से गीला हो गया। मैंने अब अपनी जांघें थोड़ी सी चौड़ी कर दी। “Cute Punjabi Girl Chudai”

भानु ने एक हाथ नीचे ले जाकर मेरी चूत की मखमली फाँकों को थोड़ा सा खोला और फिर छेद को टटोल कर अपने सुपारे को सही जगह लगा कार एक धक्का मारा। धक्का इतना जबरदस्त था कि उसका आधा लंड मेरी झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर चला गया था। सच कहती हूँ मेरी भयंकर चीख निकल गई, मुझे लगा कोई गर्म सलाख मेरी चूत में घुस गई है।

“ओह… मैं मर जाऊँगी… प्लीज रुको….. ओह…. ” मैं बिलबिलाई।

“मेरी जान तुम्हें मरने कौन साला देगा… बस हो गया…” कहते कहते उसने 2-3 धक्के और लगा दिए और उसका 6.5 इंच का लंड पूरा मेरी चूत में फिट हो गया। मुझे बहुत तेज दर्द भी हो रहा था और जलन भी हो रही थी जैसे किसी ने मेरी चूत को अंदर से चीर दिया हो, कुछ गर्म गर्म सा भी लग रहा था, शायद मेरी कुंवारी झिल्ली फट गई थी। पर जो होना था हो चुका था।

कुछ देर वो मेरे ऊपर पड़ा रहा। मैं किसी घायल कबूतरी की तरह छटपटाने लगी पर उसने मुझे कसकर अपनी बाहों में भरे रखा। थोड़ी देर बाद मुझे कुछ होश आया। अब दर्द भी थोड़ा कम हो गया था। मुझे अपनी चूत में ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने अंदर मूसल ठोक रखा हो।

अब भानु ने अपने कूल्हे थोड़े ऊपर किए। मैंने सोचा वो बाहर निकाल लेगा। पर मेरा अंदाज़ा गलत निकला। उसने अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर से एक धक्का लगाया। एक फक्च की आवाज़ निकली और फिर से पूरा लंड अंदर समा गया।

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अब हौले-हौले वो अपने लंड को अंदर-बाहर करने लगा। मुझे भी अब कुछ मज़ा आने लगा था। मेरी कलिकाएँ उसके लंड के साथ अंदर बाहर होने लगी थी। किसी ने सच कहा है इस वर्जित फल खाने जैसा स्वाद दुनिया की किसी चीज में नहीं है। मैंने भी अब अपने नितंबों को थोड़ा ऊपर नीचे करना शुरू कार दिया।

अब उसका ध्यान मेरे कसे हुए मम्मों पर गया। उसने एक हाथ से मेरे एक संतरे को पकड़कर मसलना चालू कर दिया। और दूसरे के निप्पल को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा। मैं उसके सिर पर हाथ फिराने लगी। एक एक करके वो मेरे दोनों रसीले संतरों को साथ में चूसता रहा और ऊपर से धक्के भी लगता रहा। मेरी मीठी सीत्कारें निकलने लगी। “Cute Punjabi Girl Chudai”

“क्यों मेरी जान, अब मज़ा आया या नहीं?”

“हाँ भानु… आह…”

“तुम पता नहीं क्यूँ उस लल्लू के पीछे इतनी दीवानी बनी घूम रही थी?”

“हम…” सच मैं तो निरी झल्ली ही थी।

फिर उसने अपना एक हाथ मेरे नितंबों के नीचे किया और मेरी गांड की दरार को सहलाने लगा। इससे पहले कि मैं कुछ समझती उसकी एक अंगुली मेरी गांड में घुस गई।

“उईईई … माँ……………” मेरे मुँह से अचानक निकल गया।

“एक बात बताऊँ?”

“ओहो…. अपनी अंगुली बाहर निकालो…. !”

“मेरी रानी तुम्हारी गांड तो लगता है तुम्हारी चूत से भी ज्यादा खूबसूरत है?”

“क्या मतलब…?”

“यार…. निम्मी मैंने उस साले अमनदीप की बहुत गांड मारी है। उसके अलावा भी 4-5 लड़कों की गांड बहुत बार मारी है… पर…. सच कहता हूँ तुम्हारी इस गांड का जवाब ही नहीं है।”

सुनकर मुझे बहुत हैरानी हुई। तो क्या अमनदीप…? “ओहो… नो…. ?” मेरे मुँह से निकाला।

“मैं सच कहता हूँ… बहुत मज़ा आता है। एक बार तुम भी करवा लो प्लीज?”

“शट अप…!”

“तुम तो खामखाँ नाराज़ हो रही हो।”

“नो… मुझे यह सब नहीं करवाना !” मैंने उसका हाथ हटा दिया।

“चलो कोई बात नहीं !” कहकर उसने जोर जोर से मेरी चुदाई शुरू कर दी।

मैं आँखें बंद किए उस आनद के सागर में गोते लगाने लगी। मेरी चूत से दनादन रस निकल रहा था। अचानक मुझे लगा मेरा सिर घूमने लगा है और मेरी आँखों में सतरंगी तारे से जगमगाने लगे हैं। मेरे सारे शरीर में एक अनोखी तरंग सी उठने लगी है।

यह तो ठीक वैसा ही अहसास था जब मैं अपनी चूत में देर तक अंगुली करने के बाद होता है। मेरा शरीर थोड़ा सा अकड़ा और फिर मेरी चूत में जैसे कोई उबाल सा आया और झर झर झरना सा बहाने लगा। इस आनंद को कोई भला शब्दों में कैसे बयान कर सकता है।

अब तक कोई 10-12 मिनट हो चुके थे। वो कभी मेरे गालों को चूमता कभी मेरे मम्मों को चूसता और कभी मेरे होंठों को अपने मुँह में भरकर किसी कुल्फी की मानिंद चूसता। अब मैंने भी अपने नितम्ब उठा उठा कार उसका साथ देना शुरू कर दिया। अब उसके धक्कों की रफ्तार तेज हो गई। वो हांफने सा लगा था और मीठी आहें सी भरने लगा था…… “मेरी रानी … मेरी निम्मी….. मैं भी जाने वाला हूँ….. मेरी जान…. आह….”

मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और अपने नितंबों को उछालने लगी। उसने कस कर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। मुझे लगा मेरी चूत ने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया है। उसके मुँह से भी गूर्र… गूर्र। की आवाज़ें सी आने लगी थी।

उसके साथ ही मुझे लगा उसका लंड मेरी चूत के अंदर फूलने पिचकने लगा है। उसने 4-5 धक्के जोर जोर से लगाए फिर उसके धक्कों की रफ्तार धीमी पड़ती गई और उसने किसी भैंसे की तरह हुंकार सी भरी और एक अन्तिम धक्का लगाते हुए मेरे उपर गिर पड़ा। मैंने अपनी चूत को अंदर सिकोड़ लिया। आह… उस संकोचन और जकड़न में कितना मज़ा था। बिना चुदाई के इसे अनुभव नहीं किया जा सकता। “Cute Punjabi Girl Chudai”

थोड़ी देर बाद वो मेरे ऊपर से उठ खड़ा हुआ। मैं भी उठ बैठी। अब मेरा ध्यान उसके लंड पर गया। वो सिकुड़ सा गया था और उस पर मेरी चूत का रस और खून सा लगा था। वो बाथरूम चला गया। मैंने अब अपनी चूत रानी को देखा।

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वो सूज कर मोटी सी हो गई थी। दरार कुछ चौड़ी सी हो गई थी और फाँकों के दोनों तरफ खून भी लगा था, चादर भी गीली हो गई थी, उस पर भी खून के दाग से लगे थे। मैंने झट से अपने कपड़े पहन लिए। भानु अब वापस आ गया था।

“जान एक राउंड और नहीं खेलोगी?”

“नहीं, अब मुझे घर जाना है… तुमने मेरी हालत ही खराब कर दी है….. लगता है मैं 2-3 दिन ठीक से चल भी नहीं सकूंगी।”

“मेरी जान तुम तो मुझे रात को ही कहोगी… एक बार आ जाओ !” वो हँसने लगा। मेरी भी हंसी निकल गई।

“रात की बात रात को देखेंगे….. पर अब तो मुझे जाने दो !”

मैं अपने घर आ गई। भानु सच कहता था। रात को मुझे उसकी बहुत याद आई। फिर तो मैंने पूरे साल उससे जी भर कर चुदवाया। मैंने उसे हर आसन में चुदवाया और चुदाई के सभी रंगों को भोगा और अनुभव किया पर उसके बहुत मिन्नतें करने के बाद भी मैंने उसे अपनी गांड नहीं मारने दी। वो हर बार मेरी गांड मारने का जरूर कहता पर मैंने हर बार उसे मना कर दिया। अगले साल पता नहीं क्यों वो पी.जी. करने दूसरे शहर चला गया। खैर अब मुझे पप्पुओं की क्या कमी थी? यह थी मेरी कहानी !

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