Bhabhi Hath Me Lund – भैया भाभी को बच्चे का तोहफा दिया मैंने

Bhabhi Hath Me Lund – भैया भाभी को बच्चे का तोहफा दिया मैंने

Bhabhi Hath Me Lund

हलो दोस्तों मैं विशाल झाँसी से हूँ। मेरी उम्र 30 वर्ष है। मैं एक प्राइवेट कम्पनी के दफ्तर में काम करता हूँ। मैं काम की वजह से अपने परिवार से दूर अकेला शहर में रहता हूँ। मैं और भानु दूर की रिश्तेदारी में से भाई है। एक दिन मैं किसी जरूरी काम से उनके शहर आया और वापसी पे जाते जाते भानु की दुकान पे चला गया। Bhabhi Hath Me Lund

दोनों ने बैठकर खाया पीया हंसी मज़ाक किया। दरअसल मैं भानु की शादी पे ही उससे मिला था। उसके बाद काम काज में इतना उलझ गया के मिलने का मौका ही नही मिला। मुझे नही पता था के भानु के कोई औलाद नही है, एक दिन मैंने उसे ऐसे ही पूछ लिया।

मैं — और सुनाओ भानु भाई, कैसी कट रही है जिंदगी, भाभी जी और बाल बच्चे कैसे है?

भानु — क्या बताऊ यार ज़िन्दगी का, बहूत उलझी हुई है। भाभी तेरी वैसे तो बहुत बढ़िया है, बस एक ही कमी है के उसकी गोद अभी तक सूनी है।

मैं — क्या कहा, गोद सूनी है। कमाल के आदमी हो यार, बताया भी नही, मुझे तो लगा के अब तक तो भाभी 2-3 बच्चों की माँ बन चुकी होगी।

भानु — सही सुना तुमने विशाल, गीता आज तक माँ नही बन पायी है। बहुत से डाक्टरों को दिखाया, परन्तु कही कोई सन्तोषजनक हल नही मिला।

ये भी नही के मुझमे कोई कमी है, मेरे शुक्राणु भी पूरे है और पूरा गर्भ तक जाते है लेकिन फेर भी पता नही क्यों वो गर्भवती नही होती। मैंने तो उसे दिल्ली, मुम्बई तक की दवाई खिलाकर देख ली, पैसे भी बरबाद कर लिए लेकिन कोई ख़ुशी देने वाली बात नज़र नही आई।

अब तो दिल करता है के किसी अनाथ आश्रम से कोई बच्चा गोद ले आउ और बाकी रहती ज़िन्दगी भी आसानी से गुज़र जाये। लेकिन गीता बहुत ज़िद्दी है, कहती है के मैं किसी पराये के बच्चे को सीने से नही लगाउंगी। अगर इस घर का वारिस कोई बच्चा हुआ भी तो मेरे पेट से जन्मा हुआ ही होगा, वरना नही होगा। अब तुम ही बताओ, मैं क्या करू?

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मैं – बात तो वाकया ही गहरी सोचने वाली है। लेकिन यार इतनी साइन्स बढ़ गई है आज तो शायद ही कोई ऐसा रोग होगा, जिसका इलाज़ सम्भव न हो। फेर भी अगर आप बुरा न मानो तो कुछ दिन के लिए भाभी को मेरे साथ मेरे यहाँ भेज दो। मेरा एक दोस्त मशहूर डॉक्टर है। उनको आपकी रिपोर्ट्स दिखाकर कोई सलाह वगैरह ले सकते है।

भानु – ऐसा करो तुम आज मेरे घर पे रहो, आज हम उससे बात करेगे। यदि गीता मान गई तो तुम उसे अपने साथ अपने शहर ले जाना।

मैं — ठीक है, देखते है क्या होता है ?

इतने में शाम हो गयी और हम दोनों दुकान बन्द करके भानु के घर आ गए। घर पे आते ही भानु ने मेरा परिचय गीता से करवाया, “गीता ये है विशाल, मेरी दूर की रिश्तेदारी में मामा का लड़का है। ये बहुत साल बाद आज अपने घर आया है। इसकी सेवा में कोई कमी नही आनी चाहिए।

मैंने और गीता ने एक दूसरे को नमस्ते बुलाई और वो किचन में से हम दोनों के लिए पानी लेने चली गयी। मुझे तो गीता पहली ही नज़र में भा गई, जिसका शायद उसको भी संकेत मिल गया था। लेकिन अजनबी रिश्तेदार होने की वजह से बात साफ नही हो सकी।

गीता ट्रे में 2 गिलास पानी के लेकर आई और हम दोनों को परोसे। मेरी तो नज़र ही गीता पे अटक गयी। मन में सोचने लगा काश मुझे भी ऐसी बीवी मिल जाये न तो मज़ा आ जाये। वो इसी ख्याल में खोया हुआ था के भानु ने मेरे कन्धे पे हल्का सा धफ्फा मारते हुए पूछा, क्यों कैसी लगी तेरी भाभी, मस्त है न.

मैं– हाँ भाई, बहुत मस्त है, आप किस्मत वाले ओ, जो ऐसी मस्त बीवी के हकदार हो। सच पूछो तो मुझे आपसे जलन महसूस हो रही है।

इसपे हम ठहाका मारकर दोनों जोर से हंसे। इतने में गीता चाय लेकर आई और पूछा, किस बात को लेकर दोनों भाई हंस रहे है, मुझे भी बतादो न, थोडा मैं भी खुश हो सकूँ।

भानु — हम क्यों बताये आपको, ये बात तो हम दोनों की सीक्रेट है !

और फेर ठहाका लगाकर हंस पड़े।

गीता – चलो न बताओ, आपकी मर्ज़ी, ये लो चाय पीलो, वरना ठंडी हो जायेगी।

सबने इकठे होकर चाय पी और ढेर सारी बाते करने के बाद भानु ने गीता को मेरे सामने ही पूछ लिया,” गीता तुमसे एक जरूरी बात करनी है।

गीता — हांजी कहिये, मैं सुन रही हूँ।

इस से पहले भानु कुछ बोलता, बीच में मैं बोल पड़ा,” भाभी बात दरअसल ये है की मैंने और भानु भाई ने डिसाइड किया है के आपको मेरे साथ मेरे शहर चेकअप के लिए जाना होगा। जिस से ये स्योर हो जायेगा के किस कमी की वजह से आपकी कोख अभी तक हरी नही हुई है ?

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गीता — वो तो ठीक है लेकिन हम ऐसे चेकअप पहले भी बहुत से करवा चुके है, सबमे रिपोर्ट्स नॉर्मल ही आती है। फेर बाहर से अलग टेस्ट करवाने का क्या फायदा, हम पहले ही कितने रूपये खराब कर चुके है। कोई हल मिला क्या ? नही ना…. तो और ज्यादा पैसे की बर्बादी क्यों ?? भगवान ने मेरी गोद भरनी होती तो अब तक भर चुके होते, वैसे भी अब मेरा भगवान के ऊपर से विश्वास सा उठ गया है, मैंने पता नही पिछले जन्म में कोनसे पाप किये है, जो अब तक मातृत्व सुख से वंचित हूँ।

मैं – भाभी मैं आपका दुःख भली भाँति समझता हूं। लेकिन एक बार और दिखने में क्या हर्ज़ है। मेरा खास दोस्त अमेरिका से इसकी नॉलज लेकर आया है और उसने अपनी लैब खोली है। आप एक बार मेरे साथ चलो, मेरा दिल कहता है के आपको नामोशी नही उठानी पड़ेगी।

भानु — हां, गीता मान भी जाओ न प्लीज़ एक बार, विशाल भी हमारे भले के लिऐ ही इतना कर रहा है, वरना तुम ही सोचो इसमें इसका क्या फायदा है ?

गीता — चलो ठीक है, जैसा आपको अच्छा लगे। लेकिन मेरी भी एक शर्त है की ये लास्ट चांस है। इसके बाद इस मैटर के बारे में आपकी कोई बात नही मानूंगी।

भानु – चलो, ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, अब ज्यादा बाते न करो, खाना बनाओ और तैयार हो जाओ जाने के लिए। रात की 9 बजे की ट्रेन है।

आधे घण्टे में ही खाना पानी तैयार करके गीता खुद भी तैयार हो गयी। शाम के 8 बजे भानु हमे स्टेशन छोड़ आया। रात के 9 बजे की ट्रेन थी, जो सीधे मेरे शहर तक जानी थी। टिकट लेकर हम दोनों गाड़ी में बैठ गए। गाड़ी में बहुत ही भीड़ थी। लेकिन हम फेर भी एक सीट पे जगह बनाकर बैठ गए। भीड़ ली वजह से गीता का बदन मुझसे रगड़ खा रहा था। “Bhabhi Hath Me Lund”

इससे मेरा बुरा हाल हो रहा था। मेरी पेंट में तम्बू बन गया था। जिसका शायद गीता को भी आभास हो गया था। वो हल्का सा मुस्कुराई और दूसरी तरफ मुंह कर लिया। फेर गाडी 2 घण्टे बाद मेरे शहर जाकर रुकी।

उस वक्त शायद 11 बज रहे थे, रात को कोई यातायात का साधन दिख नही रहा था। मैंने सोचा पास में ही तो घर है, पैदल चले जाते है। रास्ते में एक ढाबे से खाना पैक करवाया और बाते करते आधे घण्टे में घर आ गए। घर पे दरवाजा बाहर से लॉक था।

गीता ने पूछा,” विशाल दरवाजा आगे से बन्द क्यों है। तुम्हारे साथ कोई नही रहता क्या ?

मैं — भाभी वैसे तो मेरा पूरा हरा भरा परिवार है, लेकिन बाकी परिवार गांव में है, काम की वजह से मैं अकेला यहां शहर में किराये के मकान में रहता हूँ। आप चिंता न करो। आपको यहां कोई तकलीफ नही होगी। यहां आपके खाने, नहाने का सब इंतज़ाम है ।

मैंने अंदर आते ही, लाइट्स ओन की और भाभी को बेड पे बैठने का इशारा किया फेर किचन में जाकर 2 गिलास पानी ले आया। पानी पीकर बोला,” भाभी आप जल्दी से फ्रेश हो जाओ, तब तक मैं खाना परोसता हूँ।

गीता आपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई। करीब 10 मिनट बाद एक खुली सी नाइटी में वही दुबारा वापिस आ गयी। जिसे देखकर मेरा मुंह खुले का खुला ही रह गया। फ्लर्टी ढंग से उनसे बोला,” वाओ भाभी यू आर सो ब्यूटीफुल इन दिस सिचुएशन…. “Bhabhi Hath Me Lund”

आगे से गीता भी हल्का सा हंस पड़ी और बोली,” अकेला देखा नही लग गए कॉमेंट करने।

मैं — नही भाभी कसम से आप बहुत सुंदर लग रही हो इस कॉस्ट्यूम में, अगर मेरी जगह भाई होते तो पकड़ कर चूम लेते।

इसपे दोनों हंस दिए

गीता — बस बस अब खाना परोसो, क्या बातो से पेट भरोगे अपना और मेरा।

हम ने मिलकर खाना खाया। अब दिक्कत थी तो सोने की, क्योंके मेरे पास एक ही डबल बेड था। लेकिन सोने वाले 2 जने। रात भी बहुत हो चुकी थी।

मैं — भाभी माफ़ करना, आज की रात आपको मेरे साथ ही इस बेड पे सोना पड़ेगा। सुबह होते ही आपके लिए कोई नया इंतज़ाम कर दूगा। लेकिन फेर भी आपको कोई ऐतराज या दिक्कत है तो मैं अपना बिस्तर निचे ज़मीन पे लगा लेता हूँ। आप अकेले ऊपर सो जाओ।

गीता — नही नही विशाल ऐसी कोई बात नही, तुम भी ऊपर ही सोवो। मुझे कोई आपत्ति नही है।

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गीता भी मेरी मज़बुरी समझ गयी और ना चाहते हुए उसे मेरे साथ उसके बेड पे सोना पड़ा। लेटते ही घर परिवार की बाते शुरू हो गयी। जिसमे गीता ने बताया के कैसे और कहाँ कहाँ से उसने अपना इलाज़ करवाया है। बाते करते करते वो भावुक हो गयी और उसकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगी।

मैने अपने हाथो से उसकी आँखे पोंछी और कहा,” माफ़ करना भाभी, मेरा मकसद आपको रुलाना नही था। मैं तो सिर्फ अपनी जानकारी के लिए आपसे कुछ पूछ रहा था।

वो कहते है न यदि किसी दुखी इंसान को जरा सा कुछ उसके दुःख के बारे में पूछ लो तो वो पूरी गठरी खोलके सामने रख देता है। यहाँ भी ऐसा ही हुआ वो ज़ोर ज़ोर से मेरे गले लगकर रो रही थी। जिस से थोडा मैं भी इमोशनल ही गया था। मैं जितना उसे चुप करवाने का यतन करता वो ज्यादा रोने लगती।

गीता (रोते हुए)- विशाल किसी भी तरह से मुझे माँ बनने में मेरी मदद करदो। मैं आपका ये अहसान जिंदगी भर नही भुलुगी। आस पड़ोस की बहुए जो मेरे बाद आई है, वो 2-2 बच्चों की माऐं बनी हुई है। इधर मैं हूँ के शादी को 10 साल हो गए है, एक बार भी ये सपना पूरा नही कर पायी।

वो इमोशनल होकर इतना बहक गई के हर जायज, नज़ायज़ काम करने को तैयार थी। उसे सिर्फ माँ बनने से मतलब था। तरीके की कोई भी हो परवाह नही थी। इधर मैं भी आज कई महीनो बाद किसी औरत को इतना पास से देख रहा था। उसका सोया हुआ काम भी जाग गया। सो मैं न चाहते हुए भी मन का कण्ट्रोल खो रहा था। जिसका शायद गीता को भी थोडा बहुत आभास हो रहा था। “Bhabhi Hath Me Lund”

लेकिन शायद उसे भी ये अच्छा लग रहा था तो वो भी बिना किसी डर के मेरा साथ दे रही थी। थोड़ी देर बाद गीता ने महसूस किया के उसके पेट में कुछ कड़क सा चुभ रहा है। उसने हाथ लगाकर देखा तो वो मेरा निक्कर में तना हुआ 8 ईची मोटा लण्ड था। जिसे हाथ लगते ही वो भी काम आवेश की वजह से बहक गयी, आखिर आग के पास घी कब तक ठोस रहता।

उसका मन भी अब उस लण्ड को लेने का हो रहा था। परन्तु पहल कैसे करे ये मुसीबत थी। फेर उसके दिमाग में एक तरकीब आई। वो बोली,” विशाल मैं हमेशा भानु के साथ चिपक कर सोती हूँ, अगर आपको नींद में चिपक जाऊ तो प्लीज़ बुरा मत मानना।

मैं — कोई बात नही भाभी, आपका जैसे दिल करे सो सकती हो।

अब आग दोनों तरफ लगी हुई थी। बस कहने से डर रहे थे। इतने में बाहर बारिश होने लग गयी। उधर आसमान में ज़ोरदार बिजली गड़की और इधर गीता डरकर मेरे साथ चिपक गई। दोनों की जैसे मन की मुराद पूरी हो गयी हो। मैने उसकी बिखरी ज़ुल्फो को ऊँगली से ठीक किया।

मेरे हाथ का स्पर्श पाकर गीता फेर बहकने लगी। उसकी आँखे काम आवेग में बन्द होने लगी। मेरा दिल भी धक, धक, धक करने लगा के यदि मेरे पहल करने से ये बुरा मान गई तो मैं भाई को क्या मुंह दिखाऊँगा?

फेर भी मैने एक बार फेर अपना दायां हाथ गीता के सिर पे फेर और उसके बिखरे बालो को सेट करने लगा। फेर ऊँगली से माथे के बिच में से निचे की ओर नाक पे, फेर होंठो में ऊँगली घिसाते हुए फेर गाल पे, कान की पेपड़ी पे जीभ से स्पर्श किया। गीता की तो जैसे आह्ह्ह्ह निकल गयी। “Bhabhi Hath Me Lund”

मैँ भी समझ गया के वो चुदासी फील कर रही है। फेर धीरे धीरे गर्दन पे किस किया, फेर ऊपर आकर उसके उरोजो फेर नाइटी उठाकर गोरे गदराये बदन में अपने गर्म होंठो का स्पर्श किया तो गीता ने आँखे बन्द किये ही मेरे सर को पकड़कर बाँहो में ले लिया और अपने हाथो से मेरी पीठ को सहलाने लगी।

अब इतना कुछ तो हो चूका था। तो शर्म की कोई बात नही थी। तो मैने साइड पे होकर गीता को उठाया और एक ही झटके में उसकी नाइटी उतार दी। जिसमे से गोरा चिटा बदन उभर के बाहर आया और बड़े बड़े 2 उरोज़ झूलने लगे।

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गीता — विशाल आप बहुत शातिर खिलाडी हो। आपने अपनी कामुक हरकतों से मुझे चुदने कोेे मज़बूर कर ही दिया । चलो यहां इतना हो गया आगे भी कर लेते है। उतारो अपने कपड़े भी, मुझे नंगी करके खुद कपड़ो में रहो, ये बहुत ही नाइसाफी है

मैने भी आज्ञाकारी बच्चे की तरह उसकी आज्ञा का पालन किया और अपनी बनियान और निक्कर उतार दी। जिसमे से तना हुआ 8 इंची लण्ड झूलने लगा। जिसे देखकर गीता का मुंह खुले का खुला ही रह गया।

मैं — क्या हुआ भाभी, कभी लण्ड नही देखा क्या ?

गीता — नही विशाल, लण्ड तो रोज़ाना देखती हूँ। लेकिन इसे देखकर लगता है के वो लण्ड नही छोटी सी लुल्ली है।

इसपे दोनों ठहाके लगाकर हसने लगे।

मैने तना हुआ लण्ड गीता के हाथ में दिया। वो डरते डरते हाथ लगाने लगी। इधर लण्ड पे गीता का स्पर्श पड़ते ही मेरी कामुक सिसकी निकल गयी। अब हम 69 की पोज़िशन में आ गए। मैंने उसे इशारे से चूसने को कहा,” वो मेरा इशारा पाते ही भूखे भेड़िये की तरह मेरे तने हुए लन्ड पे टूट पड़ी और शातिर रंडी की तरह चूसने लग गयी।

इधर मैं भी कमर हिला हिलाकर उसे लण्ड चुसवा रहा था और उसकी कलीनशेवड चूत को जीभ घुसा घुसा के चूस रहा था। मेरी जीभ के प्रहार को गीता ज्यादा देर झेल न पायी और लम्बी आहह्ह्ह्ह्ह् लेकर मेरे मुंह में ही छूट गई। मैं भी उसका माल अमृत समझकर गटक गया।

फेर मैं उठा और अपना, उसके थूक से सना 8 इंची हथियार उसकी चूत में घुसा दिया। उसकी तो जैसे साँस ही अटक गयी। फेर धीरे धीरे जब वो नॉर्मल हुई तो मैंने अपनी स्पीड तेज़ करदी। अब जब मुझे लगने लगा के मेरा माल निकलने वाला है, तो मैंने अपनी कमर की स्पीड तेज़ करदी और एक लम्बी आह्ह्ह्हह्ह लेकर उसकी चूत में ही झड़ गया। “Bhabhi Hath Me Lund”

गीता भी आखे बन्द करके इस मौके का मज़ा लेने लगी। फेर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से निकालकर उसके मुंह ने दुबारा दे दिया। जिस से कुछ वीर्य उसके मुंह में चला गया, जिसे वो गटक गयी, उसने अपनी जीभ से मेरे वीर्य की आखरी बूँद तक निचोड़ ली।

अब हमने कुछ मिनट का आराम किया और बाथरूम में जाकर इकठे एक दूसरे को मसल मसलके नहलाया। वहां भी एक बार ताबड़तोड़ चुदाई की इस बार भी मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ा। फेर हम नंगे ही बाँहो में बांहे डाल सो गए।

सच पुछो तो आज से बेहतर नींद कभी नही आई। सुबह पास के मदिर की घन्टी की आवाज़ से हमारी नींद खुली। सुबह हम दोनों एक दूसरे से नज़रे नही मिला पा रहे थे। वो शर्माकर उठी और भागकर अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गयी।

वहा फ्रेश होकर आई भी तो चेहरा झुकाके बैठी रही। मैंने उसकी ठुडी पे हाथ लगाकर उसका चेहरा ऊपर किया तो फेर शर्मा गयी और बोली,” आप बहुत गन्दे ओ विशाल, बहला फुसलाकर मुझसे क्या करवा दिया। मैं अपनी ही नज़रो में गिर गयी हूँ। आई किस काम थी। क्या हो गया।

मैं – कोई बात नही भाभी ।

गीता — अब भाभी न बोलो, मेरा नाम लो गीता, क्योंके कोई भाभी के साथ ऐसा थोड़ी न करता है।

मैं – चलो गीता, जो हुआ बुरा सपना समझ के भूल जाओ, मुझे माफ़ करदो, मैं भी तेरा मादक स्पर्श पाकर बहक गया था। गलती हम दोनों में किसी की नही है। गलती तो मौके की है, ना ऐसा मौका आता, न ये सब होता। चलो जो भी हुआ ठीक ही हुआ, अब शायद आपकी रिपोर्ट में कुछ बदलाव आ जाये।

ऐसा करो तुम चाय बनाओ, मैं सामने की डेयरी से दूध ले आउ, बाद में सोचते है आगे क्या करना है ?

इतने में गीता किचन ने चली गयी और मैं कपड़े पहनकर डेयरी पे दूध लेने चला गया।

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वापसी पे ब्रेड, बटर और कुछ खाने का समान लेता आया। हमने इकठे चाय पी, नाश्ता किया और तैयार होकर चेकअप के लिए हम मेरे दोस्त की एक लैब में गए। मैंने उसे सब समझ दिया । फेर उसने भाभी से यूरिन सेम्पल लिए और आधे घण्टे बाद रिपोर्ट लेने को बोला। आधे घण्टे बाद उसने बोला, बधाई हो आप दोनों माँ बाप बनने वाले हो। “Bhabhi Hath Me Lund”

उसकी बात सुनकर गीता की आँखे भर आई और हम रिपोर्ट लेकर घर आ गये उसने मुझे जोर से गले लगा के आई लव् यू विशाल, मैं तेरा ये एहसान ज़िन्दगी भर नही भूल सकती। तूने मुझे आज वोह तोहफा दिया है, जो 10 सालो में मेरा पति नही दे पाया।

मेरे पास पैसे की कोई कमी नही है माँगलो जितना चाहिए, दें दूगी। जबके मैंने उसे इसके बदले सिर्फ उसका ऐसा ही सहयोग माँगा के जब भी मेरा दिल चाहेगा, मैं कही भी बुलाकर अपनी काम अग्नि ठंडी कर सकु। उसने भी हाथ में हाथ देकर वादा किया के ऐसा ही होगा।

इसके बाद वो मेरे पास एक हफ्ता रही, जिसमे मैंने पता नही कितनी बार रसोई, सीढ़िया, कमरे, बाथरूम और घर का कोई कोना नही छोड़ा जहां उसको न चोदा हो। ये मेरे जीवन की एक अनोखी घटना थी। करीब कई महीनो बाद उसने बहुत ही सुंदर बेटे को जन्म दिया। अब वो अपनी जिदगी में बहुत खुश है। अब भी जब हमे कही मौका मिलता है, हम दो बदन एक जान हो जाते है। “Bhabhi Hath Me Lund”

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