Kamuk Ghar Ki Maal – बुआ की जवानी की प्यास नहीं बुझती थी

Kamuk Ghar Ki Maal – बुआ की जवानी की प्यास नहीं बुझती थी

Kamuk Ghar Ki Maal

मेरा नाम ऋषभ है, मोदीनगर जिले का रहने वाला हूँ. यहाँ पर अपने बुआ और फूफा के साथ रहता हूँ. लोग कहते है की औरत मर्दों से जादा गर्म और चुदासी होती है। जहाँ मर्द जल्दी गर्म होकर जल्दी ठंडे हो जाते है वही औरत देर में गर्म होकर देर में ठंडी होती है। कुछ ऐसा ही हाल था मेरी बुआ जी का। मैं शुरू से उनके ही घर रहा था। Kamuk Ghar Ki Maal

अब जवान और 23 साल का बांका जवान मर्द हो गया था। अब तो मेरा लंड भी खूब खड़ा होने लगा था। उधर मेरी बुआ हमेशा ही प्यासी रह जाती थी। मेरे फुआ जी (फूफा जी) को 6 साल का लम्बा वक्त लग गया एक बच्चा पैदा करने में। वो सेक्स के मामले में बहुत कमजोर थे।

अगर एक बार चुदाई कर लेते थे तो हफ्ता भर बुआ जी को हाथ नही लगाते थे। अगर कभी हफ्ते में 2 3 बार चुदाई कर लेते थे तो कभी उनको बुखार आ जाता था, कभी उनके सिर में दर्द हो जाता था, कभी सीने में दर्द तो कभी साँस फूलने लग जाती थी। इस वजह से मेरी सेक्सी बुआ जी प्यासी ही रह जाती थी।

चुदाई वाली बात को लेकर अक्सर बुआ और फूफा का झगड़ा होता रहता था। बुआ की उम्र अभी 27 साल थी। बिलकुल देसी माल थी। उनका फिगर 36 28 34 का होगा। जब अच्छी तरह से मेकअप करके बाहर निकलती थी तो क्या जबरदस्त माल लगती थी।

कितने लड़के उनको देख के सीटी बजाते थे। पर मेरी बुआ जी सभ्य संस्कारवान औरत थी। कोई आवारा छिनाल नही थी जो पडोस के मर्दों से चुदवा ले। कुछ दिन बाद दोनों में सेक्स को लेकर फिर से झगड़ा होने लगा। उस दिन शाम को झगड़ा हो रहा था।

“राजू! (मेरे फूफा जी) तुमसे शादी करके मेरी जिन्दगी खराब हो गयी। एक भी रात मेरी प्यास नही बुझी!! तुम मर्द नही नामर्द हो। अगर मुझे पता होता तो तुमसे शादी नही करती” बुआ तेज तेज चिल्लाकर कहने लगी।

“तो जा किसी और से चुदवा लिया कर और अपनी जवानी की प्यास बुझा लिया कर। ऋषभ का लौड़ा क्यों नही खा लेती। वो भी तो अब जवान हो गया है” फूफा जी बोले.

“हाँ हाँ चुदवा लुंगी। अगर तुम मेरी प्यास नही बुझा सकते तो ऋषभ से जरुर चुदवा लुंगी” बुआ जी बोली.

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दोस्तों जब मैंने ये सब बात सुनी तो मुझे काफी अजीब लगा। कुछ देर बाद दोनों की बहस ख़त्म हो गयी। दोनों जाकर बेड पर लेट गए और दूर दूर होकर सो गये। सुबह फूफा जी अपने काम पर चले गये। दोस्तों पता नही क्यों सुबह सुबह मुझे BF देखने में कुछ जादा ही मजा मिलता था।

मैंने अपना कम्प्यूटर ऑन किया और ब्लू फिल्म देखने लगा। धीरे धीरे मैंने अपने हाफ पेंट को नीचे उतार दिया और सोफे पर बैठकर ही लंड को हाथ में लेकर मुठ मारने लगा। दोस्तों उस समय मेरा लंड 10” लम्बा और 2” मोटा हुआ करता था। काफी तंदुरुस्त लौड़ा था मेरा। जल्दी जल्दी हाथ में लेकर ब्लू फिल्म देखे जा रहा था और मुठ मार रहा था।

उस वक्त सुबह के 10 बजे थे। घर में सिर्फ बुआ जी और मैं थे, सिर्फ दो लोग। मुझे ध्यान नही था, कुछ देर बाद बुआ जी चाय लेकर मेरे कमरे में आ गयी। मैंने तो उनको देखा ही नही क्यूंकि मेरी नजरे तो कम्प्यूटर की तरफ थी। चुदाई फिल्म देखने में बीजी था। कि इतने देर में बुआ जी आ गयी। उनके हाथ में चाय का कप था। मुझे लंड को मुठ देते देखा तो चाय का कप उनके हाथ से छूट गया और नीचे गिरा तो चाय फर्श पर उडेल गयी।

“ओह्ह ….बुआ जी!!” मेरे मुंह से निकला। पर तब तक दोस्तों मैं झड़ने वाला हो गया और खुद को रोक न सका और बुआ के सामने ही मेरे लौड़े से अपनी पिचकारी छोड़ने शुरू कर दी।

“तो सुबह सुबह ये पढ़ाई चल रही है। गरमा गर्म चुदाई और कामशास्त्र वाली पढ़ाई” बुआ जी मेरी हालत बोलकर बोली.

दोस्तों शर्म से मैं गीला हो गया और इतनी हिम्मत न थी की अपने हाफ पेंट को उपर खीच लेता। बुआ जी को मेरा लंड और गोलियां दिख गयी।

“वो बुआ जी मैं…मैं… पढने जा ही रहा” मैं बहाने सोच ही रहा था की बुआ ने मुझे बीच में रोक दिया.

“बहाने मारने की कोई जरूरत नही है” बुआ जी बोली और मेरे पास आकर बैठ गयी। मेरे लंड को पकड़ लिया और फिर से फेटने लगी। मैंने कुछ नही बोला। क्यूंकि मैं कुछ समझ नही पा रहा था।

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“ऋषभ बेटे!! आज तू मुठ मत मार। असली वाली चूत को चोद !! बुआ जी बोली फिर मेरे बगल ही बैठ गयी और अपने ब्लाउज के उपर से साड़ी का पल्लू हटा दिया। फिर ब्लाउज की बटन खुद ही खोलने लगी। जैसे जैसे उन्होंने ब्लाउज उतारना शुरू किया उनके सुडौल और सेक्सी जिस्म का दर्शन मुझे होने लगा। ब्लाउज निकल गया। अब बुआ के 36” के दूध पिंक ब्रा में कैद थे जिसमे सफ़ेद रंग की बिंदी बिंदी बनी हुई थी।

“बता ऋषभ!! कैसी दिखती हूँ मैं। आओ मुझसे प्यार करो। डरने को कोई बात नही” बुआ जी बोली.

“क्या सच में बुआ जी!! कही ये कोई मजाक तो नही??” मैंने पूछा.

“नही बेटे!! तू आज मुठ मत मार। सीधा असली चूत को चोद!!” बुआ जी बोली.

उसके बाद मैं भी अपनी जवानी के जोश में आ गया। मैं भी 23 साल का जवान मर्द था और चूत के वियोग में जी रहा था पर आज तो दोस्तों चूत का जुगाड़ मेरे घर में ही हो गया था। मैंने भी बुआ को पकड़ लिया और सीने से चिपका लिया।

उसके बाद उसके गोरे गोरे गालो पर चुम्बन और किस की बरसात कर दी। मेरी बुआ जी काफी चिकनी और गोरी चिट्टी माल थी। बिलकुल मैदे जैसे सफ़ेद रखी थी तापसी पन्नू की तरह। मैं भी उनके गाल और गले पर जोश में आकर किस करने लगा।

वो पूरा साथ दे रही थी। ब्रा के उपर से मैंने उसके बड़े बड़े हॉर्न (दूध) पर हाथ रख दिया और दबाने लगा। ऐसा करने से बुआ जी गर्म होने लगी और “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ….”करने लगी। फिर बुआ को सोफे पर पीछे साइड झुका दिया और उसके मुंह पर मुंह रख दिया और बड़े जोश में आकर उनके होठ चूसने लगा।

दोस्तों आप लोगो को बताना भूल गया की बुआ जी के लब बहुत गुलाबी थे। बिना मेकअप और बिना किसी लिपस्टिक के ही उनके लब इतने गुलाबी लगते थे की आपको क्या बताऊँ। मैं भी मस्ती में आकर चुसने लगा और दोनों दूध को पिंक ब्रा के उपर से मसलने लगा। वो सी सी करने लगी।

“भतीजे!! तेरे में तो बड़ी आग है रे!! बेटा मुझे अच्छे से गर्म कर फिर चोद” वो बोली.

“जैसा आप कहो बुआ जी!!” मैंने कहा और कुछ देर होठ चुसाई की।

फिर अपनी बनियान को उतार दिया और अपना हाफ पेंट अंडरवियर के साथ ही उतार दिया। अब मैं पूरी तरह से नंगा था। बुआ जी ने अपनी ब्रा खोल दी। दोस्तों जब मैंने उनकी चूचियां देखी तो लंड अपने आप फिर से खड़ा हो गया। कितनी खूबसूरत और रसीली बड़ी बड़ी गोलाकार चूचियां का जवां सौंदर्य देखते ही बनता था।

मैंने जब दोनों कसे और गर्व से तने बूब्स पर हाथ रखा तो करेंट सा लगा। अपने फूफा जी पर तरस आने लगा जो इतनी अच्छी बीबी मिलने पर भी उसे अच्छे तरह से चोद नही पाते है। फिर मैंने दोनों दूध पर हाथ घुमाना शुरू किया तो बुआ जी “ओहह्ह्ह…ओह्ह्ह्ह…अह्हह्हह…करो बेटा और करो!! .अई… उ उ उ उ उ…” करने लगी.

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मैं भी बुआ के आदेश का पालन करने लगा क्यूंकि उनके ही घर पर रहता था। उनकी ही रोटी पर पला बढ़ा था। मैंने बुआ के रस से लबरेज स्तनों को हाथ से दबाना शुरू किया और ओंठ लगाकर किस करने लगा। इतने कसे दूध को पाकर मेरी किस्मत चमक गयी।

उनके स्तन बहुत मुलायम थे, छूकर गुदगुदी हो रही थी। मैं और तेज तेज हाथो से मसलने लगा और बुआ की सिसकियाँ निकलवा दी। फिर बुआ खुद ही 3 सीटर सोफा पर लेट गयी और मेरे हाथ पकड़कर मुझे अपने उपर लिटा लिया। “Kamuk Ghar Ki Maal”

“ऋषभ बेटा!! अच्छे से चूस दो। तेरा फूफा तो साला नामर्द है। अगर उसे औरत में दिलचस्पी नही तो मुझसे फिर शादी क्यों की गांडू ने। छोड़ो सब बेकार की बाते। आओ मौसम बनाओ बेटा!! अच्छे से मेरे स्तन चूसो!!” बुआ जी बोली.

मैं भी लेट गया और मजे लेकर चूसने लगा। कुछ देर बुआ के 36” के दूधो को किस करता रहा, हाथ से दबाता रहा। फिर सेक्सी चूची को पकड़कर अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा। अब मैं मुंह चला चलाकर रस निकाल रहा था। बुआ जी सु सु कर रही थी।

साफ़ था की उनको बेहद मजा मिल रहा था। मैं भी कितने सालो से प्यासा था। आजतक कोई लड़की नही चोदी थी। सिर्फ BF देखकर और मुठ मारकर आज तक मैंने 23 साल काटा था। आज पहली बार असली चूत चोदने को मिल रही थी। मैंने भी बुआ जी के स्तन को चूस चूसकर उनकी चूत से पानी निकलवा दिया।

उनकी आँखे कामुक तरीके से कभी बंद होती, कभी खुलती। सेक्स और चुदाई वाले नशे से उनकी आँखे लाल लाल हो गयी। इसी बीच मैंने पहली वाली चूची को छोड़ दिया और दूसरी वाली मुंह में लेकर पीने लगा। क्या गजब के दूध थे दोस्तों।

कोई भी मर्द अगर बुआ को इस हालत में देख लेता तो चूत जरुर मारता। मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा था। दोनों रसीले तने स्तनों का मुंह चूसन करके मैंने बुआ जी को गर्म कर दिया। चुदाई का शोला उनके जिस्म में भड़का दिया।

“आअह्हह्हह…..ईईई…मजा आ गया ऋषभ बेटा!! क्या खूब चुसाई की है तूने …ओह्ह्ह्….अई. ….अई….” वो बोली.

फिर मेरे गले में दोनों हाथ डालकर नीचे झुका लिया। हम दोनों किसी बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड की तरह फिर से ओंठो पर किस करने लगे। बुआ जी से अपनी साड़ी उतारी। फिर पेटीकोट खोला। अब पिंक ब्रा में मेरे सामने थी। पेंटी तो चूत के रस से डबडबा गयी थी। मैंने भी पेंटी को खींचकर उनको नंगा किया। बुआ ने टाँगे खोल दी। “Kamuk Ghar Ki Maal”

आज लाइफ में पहली बार अपनी बुआ का भोसड़ा देखा। काफी हट्टी कट्टी औरत थी इसलिए भोसड़ा भी 6” लम्बा था। गद्दीदार चूत किसी पाव वाली ब्रेड की तरह फूली थी। दोस्तों आज पहली बार मर्द बनने जा रहा था। कुछ देर उस भोसड़े को देखता रहा।

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फिर मैं भी सोफे पर ही लेट गया और बुआ जी का भूरा और हल्का कालापन लिए भोसड़ा चाटने लगा। आज तो मुझे तरह तरह की नई नई चीजे देखने को मिल रही थी। कोई स्त्री भीतर से कैसे होती है सब ज्ञान मुझे आज हो रहा था। जीभ लगाकर उनकी चूत चाटने लगा।

“……मम्मी…मम्मी…..सी सी चाटो ऋषभ बेटा!! अच्छे से चाटो!! तेरे फूफा तो जरा भी नही चाटने है….हा हा……ऊँ. ..उनहूँ उनहूँ..” वो करने लगी.

मैं भी जोश में जाकर चाटने लगा। बुआ की चूत की आकृति मुझे कुछ कुछ मछली के खुले मुंह जैसी लगी। कुछ औरतो के चूत के ओंठ बाहर को निकले होते है पर कुछ के होठ काफी छोटे होते है और अंदर ही घुसे होते है और पता भी नही चलता। इसी प्रकार से दोस्तों मेरी बुआ की चूत थी।

साइड से गद्दियाँ फूली फूली थी और चूत के लब नीचे को धंसे हुए थे। मैं तो जीभ लगा लगाकर चाटने लगा। बुआ भी किसी प्यासी मछली की तरह तड़पने लगी। अपनी गोल मटोल चूचियों को खुद ही दोनों हाथों से दबाने लगी। आखे बंदकर अपने दांत से अपने सेक्सी होठो को चबाये जा रही थी। मैंने 20 मिनट उसकी चूत चाट चाटकर किसी नये सिक्के की तरह चमका दी।

“आओ बेटा!! अब तुम लेटो। तेरा लंड चूसूंगी!!” बुआ जी बोली.

मुझे सोफे पर लिटा दिया। दोस्तों, 3 सीटर सोफे इतना लम्बा था की आराम से हम दोनों उस पर आ गये थे। मैं लेटा और बुआ जी बैठ गयी। फिर लंड को हाथ से पकड़ कर अच्छे से किसी माहिर औरत की तरह फेटने लगी। अब मेरे लंड में हरकत होने लगी। फिर धीरे धीरे खड़ा हो गया। “Kamuk Ghar Ki Maal”

फिर से मेरा हथियार खड़ा था। मेरा लंड भी काफी खूबसूरत और गबरू जवान था। सुपाडा तो लाल लाल चमक रहा था। बुआ जी नीचे झुकी और मजे से चूसने लगी। मैं ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा—करने लगा। बुआ जी ने बालो में चोटी कर रखी थी। मैंने उसके सिर पर हाथ रख दिया। ऐसा लग रहा था की उनको किसी बाबा की तरह आशीवाद दे रहा था।

बुआ जी तो जल्दी जल्दी चूसने में बिसी थी। आज अपने भतीजे का यानी की मेरा लंड चूस रही थी। मैं भी आंखे बंदकर उनके मुंह को चोद रहा था। बुआ जी के सेक्सी गुलाबी होठ मेरे लंड को निगले जा रहे थे। मुझे बहुत मजा मिल रहा था। अब मैं पूरी तरह से गर्म हो गया था।

फिर बुआ जी मेरी नाभि पर जीभ लगाने लगी। गोलियों को हाथ से दबा दबाकर खेलने लगी। मैं सी सी सी…. ओ हो हो…. करने लगा। बुआ जी अब दोनों गोलियों को मुंह में लेकर टॉफी की तरह चूसने लगी। ऐसी कामुक अदाये दिखाने से उन्होंने मेरी कामवासना को शिखर पर पंहुचा गया।

बुआ के नंगे चूतड पर हाथ लगाने लगा। फिर बुआ की लेट गयी। मैं उनके उपर आया और चूत की गद्दी को अपने मोटे 10” लौड़े से पीटने लगा। बुआ जी सुसुआने लगी। मैंने चूत को चट चट अपने लौड़े से पीटा। ऐसा करने से उनको खूब चुदास प्राप्त हुई।

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फिर अपने नोंकदार सुपाड़े से उसकी चूत को उपर नीचे घिसने लगा। बुआ जी “उ उ उ उ उ…….. सी सी सी सी….. ऊँ…ऊँ…ऊँ….” करने लगी। मैंने नीचे चूत की तरफ देखते हुए हल्का सा धक्का मारा और मेरा लंड उनकी कसी चूत में उतर गया। “आऊ!! आराम से ऋषभ बेटा!!” वो कहने लगी। “Kamuk Ghar Ki Maal”

मैंने उनकी ठुकाई शुरू कर दी। चूत में धक्के दे देकर चोदने लगा। बुआ जी भी सोफे पर मेरे साथ ही हिलने लगी। मैंने उनकी बायीं टांग को उपर उठा दिया और चूत की तरफ देख देखकर धक्के दिए जा रहा था। दोस्तों कुछ ही देर में उनकी मुनिया रानी (चूत) की दोस्ती मेरे मोटे लम्बे लंड से हो गयी।

मैं उनकी बायीं टांग उठा उठाकर गेम बजाने लगा। बुआ जी के दोनों स्तन इधर उधर हिलने लगे और डांस करने लगे। वो मस्त होकर “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” कहने लगी। उनकी आँखे सेक्स की मदहोशी और नशे के कारण कभी खुलती, कभी बंद होती। उनकी हालत बता रही थी की उनको परम और चरम सुख की प्राप्ति हो रही थी।

कभी मैं बुआ जी के चेहरे को देखता तो कभी उनकी गद्दीदार नखड़ीली चूत को। आलम बड़ा रंगीन हो गया था। मैं चोदता चला गया। फिर उनकी बायीं टांग को नीचे रखा और दाई को उपर उठा दिया। खूब चोदा और जल्दी जल्दी धक्के देते देते चूत में अपनी क्रीम चूत में ही छोड़ दी। दोस्तों, 10 मिनट बाद मैंने बुआ की गांड चोदी।

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