Kamuk Ladke Ka Lund – बिजली गुल होने से मेरी चूत चुदाई हुई

Kamuk Ladke Ka Lund – बिजली गुल होने से मेरी चूत चुदाई हुई

Kamuk Ladke Ka Lund

मेरा नाम माधुरी है, मैं 42 साल की तलाक़शुदा औरत हूँ, मैं एक सरकारी टीचर हूँ, मैं दिखने में सुंदर, सुडौल होने के साथ आकर्षित भी हूँ, मेरी कद 5’8″ हैं और मेरी फिगर की साइज 38–32–40 हैं । ये बात तब की है जब मेरी तलाक को दो साल हुई थी और मैं टीचर की ट्रेनिंग कर रही थी, मैं तब 32–33 साल की थी और रेखा दीदी के घर में रहती थी । Kamuk Ladke Ka Lund

रेखा दीदी और मैं एक ही गाँव की है और वो अपने बेटे रंजन के साथ शहर में रहती थी, रेखा दीदी भी एक तलाकशुदा थी। रेखा दीदी एक छोटे से किराए के घर में रहती थी, जिसमें सोने के लिए एक कमरा और एक रसोई था और उनका बेटा रंजन तब 23–24 साल का था। और रंजन गोरा मुंडा था, पर था अबल नंबर का बदमाश, मुझे ये बात वहां रहे दो दिन हुए थे तब पता चला की रंजन का चरित्र कैसा है।

तो गर्मी का मौसम था और वहां पर बिजली जाना और घंटों बाद आना लगा रहता था, तो ऐसे ही एक रात मैं गहरी नींद में सोई हुई थी, रंजन के साथ । रंजन और मैं ज़मीन पर साथ में सोए थे और रेखा दीदी पलंग पर और बिजली जाने के बाद उमस वाली गर्मी लगने लगी तो मेरी नींद टूट गई ।

पर नींद टूटने के बाद मुझे एहसास हुई की मेरी नाईटी ऊपर हो गई है और मेरी गांड की दरार में चिप चिप सी लगने लगी । तो मैं अपनी गांड की दरार में ऊँगली लगाई और नाईटी को ठीक की, मैं अपनी ऊँगली को देखि और सूंघी तो मैं समझ गई की वो लसलसीला चीज क्या है । पर मैं रंजन को कुछ नहीं बोली, पर सोचने वाली बात तो ये थी की, रंजन कुछ ज्यादा ही जोशीला हो गया है, और रंजन को चाहिए था ।

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अगले दिन मैं सोच ली की मैं सोऊंगी नहीं जागे रहूंगी, पता नहीं ये रंजन कब मेरी गांड में अपना लंड पेल जाता है और मुठ झाड़ देता है । तो रात होते ही मैं खाना खा कर लेट गई और आँख बंद कर के सोने का नाटक की, तो मैं काफी देर रात जाएगी हुई थी और रंजन मेरे साथ सोया हुआ था ।

पर मुझे नींद आ रही थी, इसीलिए मैं रंजन के तरफ पीठ दिखा कर करभट बदल ली और रंजन कुछ हरकत नहीं कर रहा था । तो मैं सोची शायद आज रंजन का मूड नहीं होगा, तभी अचानक मुझे एहसास हुई की रंजन मेरी नाईटी को ऊपर उठा रहा है । और रंजन मेरी नाईटी ऊपर उठा के मेरी पेंटी को नीचे सरका दिया और अपने गर्म लंड को मेरी गांड की दरार में पेल दिया …उउफफफ… रंजन का लंड था भी मोटा और बड़ा ।

रंजन मेरी गांड की दरार में अपना लंड रगड़ता और मेरी चिपकी जांघों के बिच पेलता, जिससे रंजन का लंड मेरी चूत से रगड़ाती …ईईईसस… आह!… जी तो कर रहा था की रंजन मेरी चूत में घुसा ही दे, पर शायद रंजन घबरा रहा था, रंजन काफी देर रात अपना लंड रगड़ता रहा मेरी गांड और चूत में ।

और फिर रंजन अपना मुठ छोड़ा मेरी जांघों के बिच और वापस से मेरी पेंटी चढ़ा दिया, पर नाईटी वैसा ही छोड़ दिया और सो गया । रंजन मुझे ऊपरी मज़ा इतना अच्छा दिया था और मैं सोच रही थी की, क्या होता अगर रंजन मुझे अंदरूनी मज़ा देता । एक तो मैं भी बहुत समय से मरवाई नहीं थी, जिससे मैं गलत को भी सही समझ रही थी, तो एक दिन रेखा दीदी मुझे बोली की.

रेखा दीदी :– माधुरी मेरे साथ मेरी सहेली की बेटी की शादी में जाएगी?

मैं :– नहीं दीदी मुझे तो ट्रेनिंग में जाना है ।

रेखा दीदी :– तो दो दिन छुट्टी कर दे ना, क्या पता तेरे लिए कोई मिल जाए ।

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रेखा दीदी की बात तो सही थी, पर मैं ये सोच कर नहीं गई क्यूंकि मैं उसी चक्कर में पहले भी बर्बाद हुई हूँ, और बस मुझे एक नौकरी चाहिए थी । तो रेखा दीदी रंजन से भी पूछी तो, रंजन भी मना कर दिया तो रेखा दीदी, रंजन को बस सबेरे में स्टेशन छोड़ने के लिए बोली और रंजन, रेखा दीदी को सबेरे छोड़ने गया था ।

तो मैं उस दिन खाना बना कर ट्रेनिंग के लिए निकल गई थी, और मैं उस समय सोच रही थी की, आज, कल और परसो रेखा दीदी नहीं रहेगी । क्यों ना मौके का फ़ायदा उठाया जाए, तो मैं ट्रेनिंग से वापस आते समय रंजन और मेरे लिए बिरयानी लेकर आई थी, जो की रंजन को बहुत पसंद था। और साथ ही तीन वियाग्रा की गोली और एक पैकेट कामसूत्र कंडोम, मैं उस रात सोने से पहले सब कुछ तयार कर के राखी थी की मुझे कब और कैसे शुरू करना है ।

तो मैं उस रात नाईटी ही पहनी हुई थी और कुछ नहीं, ताकि रंजन को कोई मुस्कील ना हो, बिरयानी खाने के बाद मैं रंजन के लिए सरबत बनाई थी। जिसमें वियाग्रा की एक गोली डाल दी थी और रंजन पुरा पी गया था, अब बस मुझे सोने का बहाना बनाकर सोना था। तो मैं सो गई और गहरी नींद में सोने का नाटक करने लगी, रंजन अपने लंड को निकल चूका था और सहला रहा था, मुझे सब पता चल रही थी ।

तो मैं सीधे सोइ हुई थी और रंजन आहिस्ता–आहिस्ता मेरी चूचियों पर हाँथ लगा रहा था, और फिर रंजन मेरी नाईटी की खुली हुई बटन देख अपना हाँथ अंदर डाला। और मेरी चूचियों को दबाने लगा धीरे–धीरे, मेरी तो निप्पल ही टाइट हो गई थी और रंजन उन्हीं निप्पल को दबा रहा था अब मुझसे रहा नहीं गया और मैं रंजन को बोली.

मैं :– अब ज़रा ज़ोर से दबा ही लो रंजन ।

रंजन घबरा कर हाँथ निकल लिया और दूसरे तरफ मुँह घुमा लिया और मुझे बोला की.

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रंजन :– अरे मामी आप को पता चल गया?

मैं :– हाँ रंजन… अब शर्माओ मत और करो जो कर रहे थे ।

तो मैं रंजन के लिए अपनी नाईटी उतर दी और पूरी नंगी हो कर लेट गई और फिर रंजन जब मुझे देखा तो मुझे नंगी देख खुद भी नंगा हो गया । रंजन मेरे ऊपर आ गया और मेरी बड़ी–बड़ी चूचियों को दबाते हुए मसलते हुए मुँह लगा के चूसने लगा और मैं.

मैं :– उउफफफ… ईईईसस… अअआह… रंजन चुसो और चुसो मैं आज तुम्हें रोकूंगी नहीं ।

रंजन :– उउममहह… उउमम… ईईईसस…मामी आपकी चूचियां बहुत मस्त है जी करता है चुस्त रहूँ ।

रंजन मेरी चूचियों को इसकदर चूस, चाट रहा था की मैं ये भूल गई की, रंजन मेरा भांजा है और मैं उसकी मामी। रंजन मेरी चूचियों को चूसते, चाटते हुए नीचे जाने लगा, और मेरी नाभि में अपना जीभ दाल दिया और मेरी नाभि को चाटते हुए बोला.

रंजन :– लललममम… उउउममम… ईईईसस…मामी मैं तो इसे चाटने के लिए पागल हो …उउममहह‌…रहा था, आज मौका मिल ही गया ।

मैं :– ईईईसस…उउफफफ…ओह! रंजन ।

रंजन मेरी नाभि को चाट–चाट के लटपट कर दिया और नीचे जाने लगा, मैं पागल होती जा रही थी, तभी रंजन मेरी दोनों टांगों को ऊपर उठाया । और मेरी झांटों वाली चूत को चूसने लगा और मैं सिसक उठी.

मैं :– ईईईईईससससस… ऊऊऊऊहह…रंजन नहीं… नहीं…

रंजन :– उउममहह…लललममम…मुझे चाटने दो मामी, पूरा रास पि जाऊंगा आपका…उउममहह ।

रंजन मेरी दोनों टांगों को पूरा फैला दिया और मेरी चूत के साथ मेरी गांड की छेद को भी चाट रहा था और बहुत ही गंदा चाट रहा था रंजन। रंजन मेरी चूत में अपना जीभ बहुत गहराई तक घुसा रहा था और मेरी चूत के क्लीट को भी चूस रहा था, पूरा चूस–चूस के मुझे पानी–पानी कर दिया था। रंजन उसके बाद मेरी चूत में अपना लंड घुसना चाहता था, पर मैं रंजन को बोली की. “Kamuk Ladke Ka Lund”

मैं :– रंजन रुको–रुको मेरे पास कुछ है ।

और मैं रंजन को तकिया के नीचे से कंडोम निकल कर दी और फिर रंजन अपने लंड में कंडोम लगाया और मेरी दोनों टांगों को अपने कन्धों पर लाद दिया। और फिर रंजन मेरी चूत में अपना लंड रगड़ते हुए अपना लंड सेट किया और अंदर घुसा दिया और मैं सिसक गई.

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मैं :– ईईईसस… अअआह…रंजन कितना मस्त लंड है रे तेरा ।

रंजन :– सब आपको देख–देख के ऐसा हो गया है, अअअहहह… ।

रंजन मुझे चोदने लगा, रंजन का लंड मेरी चूत में पूरा अंदर जा रहा था और थापा–थप… थापा–थप चोद रहा था। रंजन पहले भी किसीना किसी को चोदा था, और ये मैं रंजन के चोदने के अंदाज़ से समझ रही थी। रंजन मेरी चूचियों को ऊपर–नीचे उछलते देख उन्हें अपने दोनों हाथों से दबोच लिया और मेरी चूत में चोदे जा रहा था, हम दोनों ही पसीने से भीग रहे थे। और रंजन का लंड मेरी चूत भीगा रहा था, मुझे सालों बाद एसा मज़ा आ रही थी, रंजन मेरी चूत चुदाई के बाद मुझे उल्टा घुमाया और मुझे बोला,

रंजन :– ईईईसस…मामी ‍आपकी तो मस्त गांड है उउममहह…उउममहह.

मैं :– उउफफफ… ईईईसस…रंजन सोची नहीं थी तुम इतने बड़े खिलाडी निकलोगे ।

रंजन तो रुक ही नहीं रहा था और मेरी गांड फैलाए मेरी गांड चाटे जा रहा था, मेरी गांड की छेद में भी अपना जीभ लगा रहा था रंजन और मैं.

मैं :– ईईईसस… अअआह…ओह!… रंजन आज मेरी हालात ख़राब कर डाल ईईईसस…

रंजन :– उउममहह… उउमम… आज तो पूरा मुतवा दूंगा आपको उउममहह… लललममम…

रंजन मेरी गांड चाट के उठा और मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरी चूत में अपना लंड घुसाया और आगे से मेरी मेरी दोनों चूचियों को दबोच लिए।और फिर जो मेरी चूत में बजाना शुरू किया मैं तकिया को अपनी दांत से दबा ली और रंजन पुरे जोश और ज़ोर के साथ मेरी चूत मरने लगा।

क्या ज़ोर ज़ोर के धक्के लगा रहा था रंजन उफ्फ्फ… लग रहा था जैसे कोई दिवार की छेद में बार–बार कील हथोड़ा से मार रहा था और निकल रहा है। पूरा टपा–टप–टपा–टप कमरे में गूंज रहा था, और पसीने से तरबतर हम दोनों का जिस्म एक दूसरे से रगड़ा रहा था और बदबू भी आ रहा था।

मैं ज्यादा देर तक रंजन के भार को संभल नहीं सकीय और सीधा लेट गई और ये रंजन तब भी मुझे चोदता रहा, और फिर रंजन ने चार–पांच ज़ोर–ज़ोर से धक्का दिया। और रंजन अपना लंड निकला, कंडोम मेरी गांड में फेंका और मेरी गांड में अपना गरम मुठ झाड़ दिया और बगल में लेट गया और चैन की साँस लेने लगा। “Kamuk Ladke Ka Lund”

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उस रात मेरी चूत और गांड दोनों गीली हो गई थी, उसके बाद भी मैं रंजन के लंड को अपनी मुँह में लेके देर रात चुस्ती रही और कब सो गई मुझे पता ही नहीं चली। लेकिन अगली सुबह जब मैं जाएगी तो देखि की मैं रंजन के लंड पे सोई हुई हूँ, जिसमें से कंडोम का फ्लेवर का महक आ रहा था, और ऐसे में मैं रूकती कहाँ। मैं सबेरे–सबेरे जूठे मुँह रंजन के 7.5 इंच के लंड को मुँह में लेकर चूसने लग गई और रंजन भी जग गया था और वो तो पुरे मज़े में कह रहा था.

रंजन :– ईईईसस… अअआह…मामी आज ट्रेनिंग में नहीं जाओगी क्या?

मैं :– उउममहह…उउउममम…आज रविवार है तुम्हें पता नहीं है क्या?

रंजन :– ओह! अच्छा फिर तो सारा दिन चढ़ा रहूँगा ।

विक्की, अपनी माँ यानि की मेरी सरला दीदी के गैरहाजरी में मेरी जम कर चुदाई करता रहा और मैं जब तक वहां थी, विक्की मेरे साथ खूब चुदाई करता था।

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