Ladki Aankhon Me Hawas – वर्जिन चूत से खून निकालने की ख़्वाहिश

Ladki Aankhon Me Hawas – वर्जिन चूत से खून निकालने की ख़्वाहिश

Ladki Aankhon Me Hawas

मेरा नाम अभिनव है, मैं नॉएडा मे रहता हू, मैं अकाउंट्स का काम करता हू, वो भी अपने ही घर पे, मेरी उमर 35 साल की है, मैं शादी शुदा हू, मैं अपने सुहागरात मे बीवी के साथ सेक्स किया था जैसे सब लोग कहते है, पर एक चीज़ का मलाल रह गया मेरी वाइफ के बूर से खून नही निकला था तो लगा की वो पहले से चुदी हुई है. Ladki Aankhon Me Hawas

पर उसने कहा की नही मैने कभी भी किसी से नही चुदी, उस दिन के बाद से मैने कई सारे एक्सपीरियंस जो की सुहागरात का था मै खूब पढ़ा इंटरनेट पर. किसी ने कहा खून निकला था और किसी ने कहा की नही निकला था, आप मे से भी कई लोग होंगे जिसको ये दुविधा होगी की.

मेरी हसरत थी की मैं भी एक ऐसे बूर को चोदु जो मुझेसे पहली बार वो मुझेसे ही चुद रही हो, मैने बहूत सारे पैसे उड़ाए, मैने कई सारे कमसिन एस्कॉर्ट, कॉल गर्ल, को चोदा पर आज तक मैं उस तरह की लड़की के लिए तरसते रहा.

पर ये मेी मनोकामना अभी कुछ दिन पहले ही पूरी हुई, जैसा की मैं उपर ही बता चुका हू की, मैं अकाउंट का काम करता हू, मेरा अपना काम है, तो मैने एक असिस्टेन्स रखने के लिए सोचा, मैने अपने कई सारे फ्रेंड्स सर्कल मे कह दिया की यार मुझे एक ऐसी लड़की की ज़रूरत है जो कम पैसे ले और मेरा काम भी कर दे.

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तभी मेरा पास एक मेरे ही जान पहचान बाले का फोन आया की क्या वो मेरी बेटी को काम पे लगा लेंगे, मैने पूछा की क्या कर रही है? तो उस लड़की की मम्मी बोली की मनीषा अभी 12बी की है और अभी वो ओपन से पढ़ रही है, मैने पूछा की कितनी उम्र है तो वो बोली अभी अभी वो अठारह साल की हुई है.

मैने उसको हा कह दिया, वो बहूत ही कम सॅलरी पे आ गई क्यों की उससे अकाउंट्स सीखना था, चलो मेरा काम हो गया जैसा मैं चाहता था, पर मेरे मान मे उसके प्रति ग़लत विचार नही था, मैं उसको अपना असिस्टेन्स ही मानता था, पर धीरे धीरे कुच्छ ही दीनो मे असिस्टेन्स से उपर की बात पहुच गई.

एक दिन मैं कही बाहर क्लाइंट के पास गया था, और मैने कह दिया की आज मैं मीटिंग मे जा रहा हू, तुम ऑफीस मे ही रहना और मैने उसको कुच्छ कमा दे दिया, वो पूछी की सर आप कब तक आओगे तो मैने कह दिया मुझे शाम हो जाएगा, अभी तो बारह ही बजे है, और मैं चला गया.

मैं करीब आधा रास्ता पहुच गया तभी मेरे क्लाइंट का फोन आ गया की अभिनव जी आपसे रिक्वेस्ट है की आप किसी और दिन आईं सॉरी मैने आपको बुला लिया, मुझे अभी तुरंत एक अर्जेंट मीटिंग मे जाना है इस वजह से मैं ऑफीस मे नही मिलूँगा. मैं वही से वापस आ गया और मैं एक घंटे के अंदर ही ऑफीस आ गया.

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मैने जैसे ही ऑफीस के मैं गेट पे आया, तो ऑफीस का दरवाजा अंदर से बंद था, मैने सोचा अंदर से क्यों बंद है, मैं दरवाजा नही खटखटाया और मैं की होल से अंदर देखा तो दांग रह गया, मनीषा को एक लड़का किस कर रहा था.

मैं करीब पाँच मिनिट तक ये सब देखता रहा, धीरे धीरे आ अया उफफफ्फ़ की आवाज़ आ रही थी और वो दोनो एक दूसरे को किस कर रहे थे और वो लड़का मनीषा के टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल कर वो चुचियाँ मसल रहा था, था, मेरा तो दिमाग़ कराब हो गया.

मैं दरवाजा खटखटाया तो दो तीन मिनिट बाद वो लड़का ही दरवाजा खोलने आया, और मुझे देखकर होला “हां जी बोलो” क्या बात है, मनीषा तो पीछे कड़ी थी, वो तो खड़ी की खड़ी रह गई वो कुछ भी नही बोल पा रही थी.

मैं भी उसके तरफ देखा, और फिर उस लड़के की तरफ देखा, वो लड़का फिर से बोला “क्या काम है बताओगे भी?” मैने एक चाटा ज़ोर से उसके गाल मे मार दिया, और बोला मादरचोद तुरंत यहा से निकल जाओ नही तो यही मैं गांड मे डंडा कर दूँगा. भोसड़ी के… और मैंने कई सारे गलियां दी.

तो लड़का इतना सुनते ही भगा, मैं अंदर गया, वो लड़की रोने लगी, मैं अपने कुर्सी पे बैठ गया, वो अंदर रोने लगी, मैने सोचा यहा मुझे होशियारी से काम लेना चाहिए, मैने मनीषा को प्यार से बुलाया और बोला मनीषा ये सब क्या है, तुम क्या कर रही हो.

तुम्हारे मा बाप को कितना तुम पर आशा है, पर तुम क्या कर रही है तुम्हे पता भी है की नही, ये लोग तुम्हे उसे करेंगे और फिर उठा कर फेक देंगे, सिमार्ण कहने लगी ग़लती हो गई सिर, वो बोलने लगी सिर ये सब बात मा पापा को मत बताना, मैने कहा ठीक है नही बतौँगा, और मैने उसको गले लगा लिया.

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वो भी चिपक कर सिसक सिसक कर रोने लगी, मेरे सिने को उसकी गोल गोल संतरे की भाँति चुचि से गर्मी मिलने लगी, उफ़ क्या बताऊँ क्या एहसास था, मैने उसके पीठ को सहलाने लगा, और मैने कहा ये सब क्यों कर रही थी थी, अभी तुम्हे अपना करियर बनाना है ये सब मे क्यों पद रही है. “Ladki Aankhon Me Hawas”

तो वो कहने लगी, क्या बताऊँ सर, मुझे आज कल कुछ कुछ होता है, मुझे लड़को से दोस्ती करने का मन करता है, तो मैने कहा आज तक तुमने कभी सेक्स किया, तो वो बोली नही सिर आज तक मैने कभी भी सेक्स नही किया, बस उपर उपर से ही जो हुआ सो हुआ. अब तो ये सब भी नही करूँगी.

मेरी नियत खराब हो गई, यारों क्या बतौन, मुझे लगा की मेरी ये ख्वाइश अब पूरी हो जाएगी जो मेरे मान मे था, एक कुँवारी लड़की का सील तोड़ना और बूर से खून निकलते हुए देखना, मैने कहा मनीषा अगर तुम्हे लड़का अक्च्छा लगता है और तुम्हे लगता है की दोस्ती करनी चाहिए.

पर वो दोस्ती तो कर लेगा पर तुम्हे वो उसे करेगा और बदनाम कर देगा सोचो की अगर तुम्हारे मा पापा को जब ये बदनामी होगी की उनकी बेटी ऐसे ऐसे काम करती है तो क्या होगा, तो मनीषा कहने लगी सिर मैं चाहती हू की ये सब नही करूँ पर मेरे से बर्दाश्त नही हो रहा है, तो मैने कहा एक काम कर, तेरा करियर मैं बना दूँगा.

तुम मेरे साथ …….. समझ गई ना मैं क्या कह रहा हू, तो बोली सिर आप? मैने कहा हा, तुम्हे जो भूख लगी है सेक्स की वो भी शांत हो जाएगी और तुम्हे कही बाहर मूह भी मारना नही पड़ेगा, अब तुम्हारे हाथ है सब कुछ. वो चुपचाप खड़ी हो गई, और मैने उसके होठ को किस कर लिया, वो भी मेरे होठों को चूमने लगी.

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मैने तुरंत ही आकर दरवाजा बंद किया और, उसपर टूट पड़ा वो थोड़ा शरमाते हुए मुझे लिपट रही थी, कभी अंगड़ाई भी ले रही थी, मैने उसके अपने बाहों मे भर लिए और उसके टी-शर्ट उतार दिए, वो अंदर टेप पहनी थी, मैं उसके टेप भी उतार दिए, ओह दो छोटे छोटे रशीले नींबू की भांति उसका चूच मज़ा आ गया था देखकर. “Ladki Aankhon Me Hawas”

मैने उसके चूच को दबाने लगा और पीने लगा, वो भी मेरा बाल पकड़ कर सहलाने लगी, मैने उसके पेंटी के अंदर हाथ डालने लगा, तो वो मेरा हाथ पकड़ ली, और बोली आज नही सिर कल, मैने कहा आज और कल क्या, आज मेरा मूड बन गया है, तू भी अपना मूड बना लो, आज मैं चाहता हू तुम्हे चोदने का, वो धीरे धीरे तैयार हो गई, उसके बाद क्या बताऊँ दोस्तों.

मैं उसके पेंटी निकाल दिया, और टाँग फैला कर देखा, हल्की सी दरार थी बूर के बीच मे मैने अपने हाथो से चिर कर देखा अंदर लाल लग रहा था कोई छेद नही था, छोटी सी बूर, मुझे लगा की मेरा ये मोटा हथौड़ा सा लंड कही इसके बूर को फाड़ ना दे.

मैने अपना लॅंड निकाल कर उसके बूर पे लगाया, पर मेरा लॅंड उसके बूर से इधर उधर छटक जा रहा था, और वो बार बार कह रही थी कि दर्द हो रहा है. मैने फिर से अपने लॅंड पे थूक लगाया. और फिर मनीषा के बूर पे लॅंड को रख कर कर कस के धक्का दिया वो रोने लगी, मैने उसको सहलाते हुए कहा अभी दर्द कम हो जाएगा.

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मेरा लॅंड उसके बूर के अंदर जा ही नही रहा था. तब भी मैने किसी तरह अपना मोटा लॅंड मनीषा के बूर मे डाल ही दिया और फिर ज़ोर ज़ोर से चुदाई करने लगा, वो ज़ोर ज़ोर से चीलाने लगी, निकालो लॅंड बहूत दर्द हो रहा है, मैने देखा उसके बूर से खून निकल रहा था, मुझे और जोश आ गया, और फिर से चोदने लगा.

करीब 40 मिनिट तक मनीषा को चोदा, उसकी आँखे लाल लाल हो गई थी और वो सिसक रही थी, मैने पूछा कैसा लगा, वो बोली पहले बहूत दर्द हो रहा था अब ठीक हू, मैने कहा कल मेरे से फिर से चुदवायेगी ? तो वो बोली हा, मैने कहा अब और कही मूह तो नहीं मारेगी बाहर, तो वो बोली अब क्यों जब सब कुछ यही मिल गया है तो बाहर मूह मारने की ज़रूरत क्या है. और फिर हम दोनों उस दिन से चुदाई करने लगे, मेरी मनोकामना खत्म हुई, एक वर्जिन से सेक्स का, सील तोड़ने का, कमसिन को चोदने का.

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