Lund Malish XXX – लेडी डॉक्टर ने सेक्स का असली मतलब समझाया

Lund Malish XXX – लेडी डॉक्टर ने सेक्स का असली मतलब समझाया

Lund Malish XXX

मैं रायपुर का रहने वाला हूँ मेरा नाम ऋषभ है. मेरी लम्बाई ६ फुट और कमर का नाप उस समय २८ इंच था जब की ये कहानी है. दिखने में ऊपर वाले की मेहरबानी से लड़कियों की नज़र चिपकाने लायक चेहरा और बदन है. जवानी की दहलीज़ पे कदम चढ़ने के बाद, लगभग २० साल की उम्र रही होगी। Lund Malish XXX

मैंने लण्ड की सार संभाल ठीक से करने के लिए नहाते समय लण्ड की मालिश सरसों के तेल से करनी शुरू कर दी. तेल बहुत तेज लगता था लेकिन थोडी देर सहन कर लेता था. लेकिन इसका नुकसान ये हुआ कि लण्ड का सुपाडा थोड़ा लाल हो गया और थोड़ा दर्द होने लग गया.

ये देख के मुझे थोडी घबराहट हुई. मैंने अपने सर्किल में पूछताछ कि तो किसी ने मुझे बताया कि पास की कालोनी में हमारे घर से लगभग एक किलोमीटर दूर बड़े अस्पताल के स्किन रोग विशेषज्ञ रहते है उनको दिखा दू, अच्छे डॉक्टर है. शाम को ५ से ७ बजे तक देखते हैं.

एक दिन शाम डॉक्टर साब से मिलने गया, बेल बजाई, थोड़ा इंतजार के बाद दरवाजा एक लेडी ने खोला, लेडी कहना तो उनकी शान में गुस्ताखी होगी, वो तो क़यामत थी. ३१ इंच कमर, ३८ साइज़ के मम्मे, ५ फुट ७ इंच कद, २५ – २६ साल उम्र, फार्मी गेहूं जैसा रंग, चेहरा ऐसा की मेरी नज़र उनके चेहरे पर से हटने का नाम नही ले रही थी.

उनकी आवाज आई “कहिये क्या काम है”.

मैंने पूछा – डॉक्टर साब है क्या.

वो बोली नही है, क्या काम था.

मैं – उनको दिखाना था.

वो बोली – अन्दर आइये. उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया.

वो मुझे कंसल्टिंग रूम में ले गई. बोली – हाँ बताइए क्या प्रॉब्लम है.

मेरे तो होश उड़ गए ये सुन कर. इन लेडी को मेरी प्रॉब्लम क्या बताऊँ. मैं पहली बार किसी औरत के सामने ऐसी बात कर रहा था. मैंने हिम्मत करके कहा कि डॉक्टर साब को दिखाना था. उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक एक गहरी नज़र से देखा और बोली कि वो तो है नही, उनका ट्रान्सफर इस समय जोधपुर है. और वो शनिवार और रविवार को यहीं होते है.

लेकिन मैं भी डॉक्टर हूँ, बिना किसी दिक्कत के आप अपनी प्रॉब्लम मुझसे कह सकते हैं. ये सुन कर मेरी हथेलियों और पगथलियों में पसीना चुह चुहा आया. बहुत हिम्मत करके मैं ने हिचकते अटकते हुए धीरे धीरे अपनी प्रॉब्लम उनको बतानी शुरू की कि सरसों के तेल कि मालिश के कारण मेरे लण्ड में कुछ परेशानी आ गई है, उन्होंने लैंस उठाया और मेरे सामने आकर बोली – दिखाओ.

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ये सुन कर मेरे छक्के छूट गए. बहुत मुश्किल से अपने आप को कंट्रोल किया, मेरे कान गरम हो कर लाल हो गए. धीरे धीरे भारी हाथों से अपनी पैंट के हुक और जिप खोला, ऐसा लग रहा था मानो युग युग बीत रहे हैं. किसी तरह से पैंट को थोड़ा नीचे करके अंडरवियर के साइड से लण्ड को बाहर किया तो वो बोली – ऐसे नही, अंडरवियर उतारो.

मैं ने अंडरवियर का नाडा खोल कर अंडरवियर को जांघो पर कर लिया. और लण्ड के सुपाडे की खाल को पीछे करके उनको दिखाया. उन्होंने मेरे हाथ को हटा कर अपने हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ कर लैंस से सुपाडे को देखा. उनका मेरे लण्ड पर हाथ लगना था कि मेरे पूरे शरीर में करेंट लग गया और लाखों चीटियाँ मेरे शरीर पर रेंगने लगी, लण्ड ने अंगडाई लेनी शुरू कर दी. जिंदगी में पहली बार किसी स्त्री जात का हाथ लगा था वो भी किसी अप्सरा का.

डॉक्टर बोली- ये क्या हो रहा है?

तो मैंने कहा – इसमे मेरा क्या बस है।

वो बोली – हाँ ये तो है! उन्होंने मेरी झांटो के बाल में ऊँगली से चारों ओर दबा के देखा, पूछा कोई गांठ है?

मैंने कहा – नही.

डॉक्टर बोली – किसी औरत के पास गए थे?

मैंने कहा – नही! आज तक नही.

देख-दाख के उन्होंने बताया कि सरसों के तेल की तेज़ी ने खाल छील दी है. मैं दवा लिख देती हूँ, दिन में तीन बार लगाओगे दो चार दिन में ठीक हो जाएगा.

अब तक मेरा लण्ड अकड़ चुका था.

मैंने थोडी हिम्मत जुटाई और पूछा- डॉक्टर साब मैं साइंस का स्टुडेंट हूँ. क्या आप मेरी जिज्ञासा को शांत कर सकती हैं, मैं शरीर के विज्ञानं में बहुत रूचि रखता हूँ. ये कहते हुए मैंने अपना अंडरवियर और पैंट ऊपर सरकानी चाही तो डॉक्टर ने कहा – अभी रुको और पूछो क्या पूछना चाहते हो?

अब तक मेरी शर्म बहुत हद तक काबू में आ चुकी थी. कपड़े वैसे ही रहने दिए और मैं ने पूछा – ये होने का कारण क्या था?

डॉक्टर – सरसों के तेल में बहुत तेज़ केमीकल होते हैं और ये अंग ढके रहने और नमी के कारण यहाँ की खाल बहुत नाजुक होती है जो ये तेज़ सहन नही कर सकती. यदि यहाँ की मालिश करनी हो तो नारियल का तेल काम में लो और नीचे जड़ से ऊपर की ओर इस तरह से मालिश करो.

ये कह कर उन्होंने अपनी मुट्ठी में मेरे लण्ड की जड़ से पकड़ कर हौले से ऊपर की ओर लाते हुए बताया इस तरह से मालिश करनी है और बहुत ज्यादा जोर से नही दबाना. लण्ड ब्लड के ज्यादा पम्पिंग होने से कठोर होता है, इस समय लण्ड से शरीर को जाने वाला ब्लड धीमे हो जाता है और पम्पिंग से आने वाला ब्लड बढ़ जाता है. बहुत जोर से दबा कर मालिश करने से लण्ड के ऊतकों को नुक्सान हो सकता है और लण्ड की कठोरता कम हो सकती है.

वो बोली- रुको ! मैं आती हूँ ऐसे ही रहना. मैं हकबकाया सा खड़ा रहा, डॉक्टर जरा देर में वापस आई तो तीन चीजें उनके हाथ में थी – दवा की ट्यूब, नारियल तेल की बोतल और एक पारदर्शी छोटी बोतल जिसमे सुनहरे रंग का कुछ गाढा तरल था.

मेरे पास आकर उन्होंने ये सारा सामान मेज़ पर रखा और ट्यूब खोल के चने की दाल जितनी दवा अपनी ऊँगली पे लगाई और मेरे लण्ड के सुपाडे की खाल पीछे करके लण्ड के सुपाडे पर मलने लगी. मल मल कर दवा को उन्होंने पूरा सुखा दिया. नाम था फोरडेर्म. अब बोली गुप्ता जी तेल की मालिश देखिये ऐसे करनी है।

मैं ने कहा कि आप मेरा नाम ऋषभ बोलिए बहुत अच्छा लगेगा. तो वो बोली आप भी मुझे प्रतिमा बोलिए. उन्होंने अपने हाथ पे नारियल का तेल उंडेला और मेरे लण्ड पर अपने बताये तरीके से जड़ की तरफ़ से सुपाडे की तरफ़ लाते हुए मालिश करनी शुरू की।

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अभी १०-१२ बार ही हुए कि मैं दांत भीचते हुए हलके से चिल्लाया – प्रतिमा ! और झपट कर एक हाथ से अपना अंडरवियर उठा कर लण्ड के आगे किया और दूसरे हाथ से प्रतिमा का कन्धा जकड लिया. अब तक जो कुछ किसी तरह से कंट्रोल किया हुआ था वो सब जोरदार पिचकारी मारकर बाहर आ गया.

वो मुस्कुराई बोली- ऋषभ तुम सच ही बोल रहे थे कि तुम किसी औरत के पास नही गए. घबराने की कोई बात नही है, पहली बार में उत्तेजना ज्यादा होने से जल्दी ओर्गास्म आ जाता है. अब प्रतिमा ने एक ऐसा काम किया जिसने मेरे शरीर में बिजली भर दी, वो मेरे साथ चिपक गई, उसके हाथ मेरी पीठ पर बंध गए और बोली मुझे जकड कर थोडी देर इसी पोजीशन में रहो और अपने ओर्गास्म का आनंद लो.

मेरा लण्ड उनकी चूत के ऊपर अड़ रहा था. मुझे स्वर्ग का आनंद आ रहा था. दो-तीन मिनिट बाद उनकी पकड़ ढीली पड़ी और अपने को छुड़ा कर मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी, मुझसे बोली- माना कि ऋषभ ये तुम्हारा पहला अनुभव है लेकिन बुद्धू तो नहीं हो ना.

अब मेरी समझ में एकदम से ही बहुत कुछ आ गया मैंने उनके ब्लाउज़ के बटन खोल कर ब्लाउज़ अलग किया और उनके कंधे के पीछे देख कर ब्रा स्ट्रेप खोल कर ब्रा भी अलग कर दी. एकदम तने हुए सख्त गोरे बोबे देख कर मैं दंग रह गया. प्रतिमा ने मुझसे मेरी बनियान भी उतारने को बोला, ५ सेकंड में बनियान मेरे शरीर से अलग थी और मैं एकदम पैदाइशी अवस्था में डॉक्टर के सामने था.

प्रतिमा ने अपने हाथ मेरे बाजुओं पे गड़ा कर कहा- बहुत कसरती हो, अपनी इन बाजुओं का इस्तेमाल करो और मुझे मरीज देखने वाली टेबल पर लिटा दो ! मैंने कहा- प्रतिमा ! जरा रुको, एक गड़बड़ है सही कर दूँ. उसकी सवाली निगाहों ने मेरी हरकत नोट की, मैं ने उसकी साडी पकड़ के हौले हौले से खींच कर अलग कर दी. “Lund Malish XXX”

और प्रतिमा को पेटीकोट सहित उठा कर मरीज देखने वाली मेज पर हौले से लिटा दिया, उनके मुह के ऊपर अपना मुह लगाया और जिंदगी का पहला किस किया, अगले १५ सेकंड में दो काम एकसाथ हुए, मेरा बायाँ हाथ प्रतिमा के बोबे पर और दाहिना हाथ पेटीकोट के नाड़े पर था, ज़रा देर में नाड़ा खोल के मैं अलग हुआ और पेटीकोट के दोनों साइड में अपने दोनों हाथ रखते हुए सरसराते हुए पेटीकोट को अंडरवियर सहित प्रतिमा की टांगों से निकाल बाहर किया.

मैं ठगा सा खड़ा अपनी किस्मत पर आश्चर्य करते हुए प्रतिमा के तराशे हुए बदन को निहार रहा था. ऊपर वाले ने कहीं भी कोई कमी, कोई गलती नही छोड़ी थी प्रतिमा के शरीर को बनाने में. प्रतिमा की आवाज़ ने मेरा ध्यान तोडा – ऋषभ अगले दो तीन घंटे में तुम जैसा चाहो वैसे इस बदन को निहार कर छू कर खूब परख लेना.

अब जरा वो गोल्डन लिक्विड वाली बोतल उठा कर खोलो और मेरे पास लाओ. मैं बोतल खोल कर प्रतिमा के पास ले आया. अब ये लिक्विड मेरी दोनों चूचियों पर खाली करो. जैसे ही मैंने वो गाढा लिक्विड प्रतिमा की चूचियों पे गिराया तो जाना कि वो शहद है.

अब प्रतिमा ने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन पर लपेट दिए और बोली ऋषभ तुम अपनी बाँहों में मुझे उठा कर बेडरूम तक ले चलो. अपना एक हाथ प्रतिमा की पीठ के नीचे और दूसरा हाथ उनकी गाण्ड के नीचे लगा के ६० किलो की उस परी को हौले से उठाया, एक कदम बढाया ही था कि उसके शरीर ने एक जुम्बिश खाई और गाण्ड के नीचे से मेरा हाथ एकदम से फिसला और प्रतिमा का शरीर खड़े होकर मेरे शरीर से चिपक गया. “Lund Malish XXX”

उनके हाथ मेरी गर्दन पे लिपटे रहे. उनकी ये हरकत ने मुझे दंग कर दिया. अब मेरा गाण्ड के नीचे वाला हाथ भी प्रतिमा की पीठ पर कस गया, शहद उसके रसदार कठोर बोबों से मेरे सीने पर भी फ़ैल गया. प्रतिमा के दोनों पंजे मेरे पंजों पर आ गए और उनको चिपकाए हुए उनके होटों पे होंट चिपकाए मैं उनके बताये अनुसार उनके बेडरूम तक ले गया और एक हाथ वापस उसकी गाण्ड के नीचे लगते हुए प्रतिमा को उठा कर बेड पर लिटा दिया.

मैं अपने पैर बेड के नीचे लटका कर प्रतिमा से सट कर बैठ गया. जैसे ही मैं झुक कर उसको किस करने लगा उसका एक हाथ हमारे बीच में आ गया. देखो ऋषभ अब मैं तुमको सहवास की बारीकियाँ समझाती हूँ, सुनो ! सेक्स में फोरेप्ले करने का अपना महत्व है, ये जोड़े को चरम पर ले जाने में बहुत मदद करता है.

यह सारी यौन क्रिया जितनी सोफिसटीकेटेड होगी, जोड़ा उतना ही ज्यादा आनंद पायेगा. लिप किस, जीभ को चूसना, कान के नीचे की लटकन को चूसना लटकन के नीचे गर्दन को चूसना और बोबे चूसने से औरत में आग भड़कती है. और उसकी चूत में से चिकना पानी बहने लगता है. “Lund Malish XXX”

ये चिकना पानी ही लण्ड को आराम से अन्दर जाने के लिए होता है. ये प्रकृति की देन है. अब प्रतिमा ने अपनी दोनों टांगो को फैला कर चौड़ा करते हुए कहा कि नीचे चूत की दरार को चौड़ा करके देखो. मैं कुछ समझ ही नही पा रहा था कि आज ये मेरी किस्मत इतना महरबान क्यों है.

प्रतिमा के कहे अनुसार मैंने उसकी चूत के फलक को चौड़ा किया, प्रतिमा ने अपनी एक ऊँगली से बीच के उभरे हुए छोटे से आधे इंच के बराबर दाने को दिखाया और बोली कि यह क्लैटोरियस है. यह बहुत ही संवेदनशील होती है. इसके रगड़ खाने से परम आनन्द (ओर्गास्म) आता है.

योनि की दोनों फलक के अन्दर होल का ऊपरी डेढ़ इंच तक का हिस्सा भी ज्यादा संवेदनशील होता है. अन्दर योनि लगभग ४ इंच गहरी होती है लेकिन यह फ्लेक्सिबल होती है और लण्ड के अन्दर जाने पर लण्ड की लम्बाई तक फ़ैल जाती है. अन्दर योनि के बाद बच्चेदानी का मुंह होता है. जब लण्ड इस पर अड़ता है तो आनंद दुगुना हो जाता है.

जैसे जैसे औरत के काम जगता है, योनि में मीठी मीठी खुजली होने लगती है. लण्ड की रगड़ साथ योनि के बीच का हिस्सा उस खुजली को मिटा कर बहुत सुकून देता है. अब ये याद रखो कि योनि के फलक और लण्ड के आगे सुपाडे में यदि बहुत जोर की रगड़ या धक्का दिया जाए तों तेज दर्द से भी इन अंगों के ऊतक क्षतिग्रस्त हो सकते हैं इसलिए लण्ड की एंट्री हलके से सरसराते हुए करनी चाहिए न की ज्यादा जोश में आकर तेज़ धक्का लगाकर. वरना जो आनंद सेक्स की प्रत्येक गतिविधि से मिलता है वो न मिलकर हार्ड सेक्स की आदत हो जाती है. “Lund Malish XXX”

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अब बहुत हो चुका, अब मेरे बोबों से शहद को चाटकर साफ़ करो. मैं उसके शरीर के ऊपर वाले हिस्से की ओर मुड़ा और दोनों हाथों से उसके बोबों को थाम कर अपनी जीभ से शहद चाटने लगा, प्रतिमा के मुंह से सिस्कारियां और आहें निकलने लगी, उसके हाथों ने मेरे सिर के बालों को सहलाना शुरू किया और धीरे धीरे मेरे सिर को बोबों की ओर भींचने लगी।

अचानक वो नीचे सरकी और मेरे सीने पर अपने होंट चिपका कर शहद चूसने लगी, मेरा तो फ़्यूज़ उड़ गया, इतनी उत्तेजना तों मैं सहन नही कर पा रहा था. सात इंच का लण्ड कड़क होकर पत्थर के माफिक हो चुका था. अब प्रतिमा ने मुझे थोड़ा सा झुकाते हुए कानो के नीचे मेरी गर्दन पर हलके से अपने दांत लगाये.

होटों को गर्दन पर चिपकाया और जीभ को घुमा कर मेरी गर्दन को चूसने लगी, मेरे शरीर में बिजलियाँ गिरने लगी, मेरा शरीर भट्टी की तरह तप गया, मुह से बहुत ही लम्बी सिसकारी निकली. मैं ने प्रतिमा का चेहरा हाथों में थाम कर अपने होंट उसके होटों पर चिपका दिए, हम एक दूसरे के होंट चूसने लगे.

प्रतिमा ने अपनी जीभ मेरे मुह में दे दी, मैं टॉफी की तरह जीभ चूसने लगा, सच में इतनी रसदार, स्वादिष्ट तों कभी कुछ जिन्दगी में पहले कभी खाया नही था. मैं सरक कर बेड पर उसके ऊपर आ गया, एक हाथ से लण्ड को उसकी चूत के फलक के बीच लम्बाई में सेट किया, और अपने धड़ को थोड़ा झुका कर प्रतिमा के बोबे चूसने लगा.

प्रतिमा के मुंह से आहें और सिसकियां तेज़ होती जा रही थी, उसके बोबे एकदम कड़क हो गए थे, मैंने उसकी गर्दन पर उसके ही अनुसार दांत लगा कर चूसना शुरू किया, उसकी आँखें एकदम से मुंद गई, उसको हिचकियाँ आने लगी जैसे रोने के बाद आती हैं, मैं घबरा गया, पूछा क्या हुआ रानी ! “Lund Malish XXX”

प्रतिमा बोली – ऋषभ मेरे भोले राज्जा ये निर्मल आनंद है, घबराओ मत, लेकिन अब लण्ड का प्रेशर मेरी क्लेटोरिअस पर बढ़ा दो और मुझ से चिपक जाओ. मैंने अपन लण्ड शरीर के दबाव से उसकी चूत पर जोर से दबाया. दोनों ३-४ मिनिट तक चिपके रहे, फ़िर कुछ देर मैंने अपना लण्ड प्रतिमा की चूत की दरार के बीच उसके क्लैटोरियस पर रगडा.

अब प्रतिमा ने कहा कि मेरे प्रिय स्टुडेंट ऋषभ, अब मैं आनंद के झूले पर सवार हूँ, इस आनंद को अपने चरम पर लाने का काम शुरू कर दो, ये कहते हुए एक कंडोम का पैकेट तकिये के नीचे से निकाल कर मेरे हाथ में दे दिया, और प्रतिमा के सहयोग से मेरे लण्ड पर अगले ३० सेकंड्स में एक कंडोम लगा नज़र आने लगा.

मैं फ़िर प्रतिमा पर आ गया, मैं ने अपने हिप्स थोड़े ऊपर किए और हाथ उसकी चूत पर लगाया, उसकी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि नीचे चादर तक गीली हो गई थी. लण्ड को प्रतिमा की चूत पर सेट किया, लेकिन ये लेकिन ये सब पहली बार था सो लण्ड अंदर नही जा पाया, ऊपर से अकड़ इतनी ज्यादा थी कि वो अपनी जगह से टस से मस भी नही होने को राजी था.

प्रतिमा हौले से मुस्कुराई और अपना एक हाथ नीचे ले ला कर लण्ड को अपनी चूत के छेद पर सेट किया और बोली लण्ड को अन्दर डालो मैंने धीरे से जोर लगाया तो लण्ड जरा सा ही अन्दर हुआ, अन्दर जाने के अहसास से लण्ड तनकर स्टील के माफिक कड़क हो चुका था. “Lund Malish XXX”

नीचे से प्रतिमा ने अपने हिप्स ऊपर किए, उसने अपना हाथ बीच में से हटा लिया, लण्ड पर थोड़ा जोर डालने पर सरकता हुआ धीरे धीरे चूत की गहराई में घुस गया, मैं तो सातवें आसमान पर आ गया और प्रतिमा के मुह से एक लम्बी सिसकारी निकली वो मेरे साथ ऐसी चिपक गई जैसे मेरे ही शरीर का हिस्सा हो.

उसके शरीर ने सारी हरकत बंद कर दी. मुझे कुछ पता नही चल रहा था कि क्या हो रहा है, जब ३-४ मिनिट तक कोई हरकत नही हुई तो मैंने अपना वजन कोहनी और घुटनों पर लिया और एक हाथ से उसके गाल थपथपाते हुए उसको हलके हलके आवाजें दी.

उसने धीरे धीरे अपनी आँखें खोली, मेरे चेहरे की घबराहट को देख कर बड़े प्यार से मुस्कुरा कर बोली, मेरे शेर मेरे राजा ये सब इस खेल के आनंद है. चिंता मत करो. ये सब नरम ढंग से सेक्स करने का आनंद है. प्रत्येक हरकत आनंद देती है. तुम्हारे लण्ड ने अंदर सरक कर मेरी चूत की खुजली को बहुत आराम दिया है.

अब प्रतिमा ने फ़िर एक जुम्बिश खाई और पलट कर मुझे नीचे कर दिया और वो मेरे ऊपर हो गई, मैं फ़िर एकबार उसकी इस हरकत पर दंग रह गया, न जाने प्रतिमा मुझे बहुत ही प्यारी लगने लगी हालाँकि अब तक का उसका व्यव्हार एक रहस्य था. लेकिन अब तक का बिजी टाइम मुझे ये पूछने नही दे रहा था.

1 मिनिट का रेस्ट लेकर प्रतिमा ने कहा कि ऋषभ राज्जा अब मेरे ऊपर के बदन से जैसा चाहो खेलो, मैंने उसके बोबे दबाना और लिप किस करना एक साथ शुरू किया हम दोनों में आग भरती गई, फ़िर तो मैंने उसके बोबे चूसना, गर्दन और कानो को चूसना और होटों व एक दूसरे की जीभ को चूसना ये सब एक के बाद एक बदल बदल कर करना शुरू किया और प्रतिमा ने बगैर न नुकर किए पूरा सहयोग देना शुरू किया। “Lund Malish XXX”

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धीरे धीरे हम दोनों की आँखें मुंदने लगी, सिसकियों और आहों से कमरे में गर्मी आने लगी, बदन से गर्मी फूट कर पसीना आने लगा, प्रतिमा के हिप्स लम्बाई में चलने लगे. वो हिप्स को ऊपर नीचे नही करके लम्बाई में चला रही थी. इसने मुझे बहुत आनंद दिया, मेरी झांटे उसकी झांटों से रगड़ खा रही थी और उसका क्लैटोरियस भी.

ऊपर के आधे शरीर पर सारी हरकतें हो रही थी और नीचे चक्की के पाटों के बीच घर्षण हो रहा था. अन्दर लण्ड प्रतिमा के बच्चेदानी पर टकरा रहा था, मेरी गाण्ड भी धीरे धीरे हरकत में आने लगी, प्रतिमा की हरकत लम्बाई में कम होकर तेज मूव होने लगी, हमारे होंट एक दूसरे के चिपक गए.

मेरे धक्के भी नीचे से तेज और तेज होते गए, अचानक प्रतिमा के होंट खुले और वो फुसफुसाई राजा और तेज़, और और तेज़ ठोको, और एकदम से थम कर मेरे ऊपर ढेर हो गई, फ़िर उसके शरीर ने हरकत बंद कर दी. मैं उसके बाल सहलाने लगा, धीरे धीरे उसको चूमने लगा, वो बहुत ही प्यारी लगने और प्यारी लगने लगी।

चार पॉँच मिनिट बाद उसकी ऑंखें खुली, वो बहुत हौले से प्यारी सी मुस्कुराई, बोली मज्जा आ गया, और फ़िर दोबारा किस्सिंग चालू हो गई, प्रतिमा ने तीन बार, ऊपर रहते हुए ओर्गास्म लिया और तीसरी बार में फ़िर उसके शरीर ने जुम्बिश खाकर मुझको ऊपर ले लिया, बोली अब तुम्हारी बारी है राजा शुरू हो जाओ। “Lund Malish XXX”

नीचे से उसने किस्सिंग को बदल बदल कर मेरे होटों फ़िर कान फ़िर सीना फ़िर गर्दन सब को चूस कर मुझ में भट्टी जला दी. अब मैंने धीरे धीरे लण्ड को उसकी चूत के फलक तक लाकर अन्दर गहरे उतरना चालू किया, उसके मुह से हिचकियाँ आने लगी, दोनों एक दूसरे की बाँहों में जकड गए।

मैं धक्के लगाने की रफ्तार बढ़ता चला गया और उसके मुह से हिचकियों की रफ्तार भी बढ़ने लगी. लगभग ७०-८० धक्कों के बाद मेरे लण्ड में जोर की अकडन हुई और इतना तेज ओर्गास्म हुआ कि मैं प्रतिमा के बिल्कुल चिपक गया, मेरी आँखें मुंद गई, और मैं कहाँ चला गया कुछ पता नही चला.

लगभग पाँच मिनिट बाद आंखें खुली, मैं प्रतिमा की साइड में आ गया, करवट लेकर, प्रतिमा को अपनी बाँहों में जकडा, उसमे अभी तक हरकत नही थी, और एक दूसरे के चिपक कर सो गए. आधे घंटे बाद हम जागे, एक दूसरे को बाँहों में लिए ही हम बैठ गए, प्रतिमा ने तकिये और गाव तकिये दीवार के सटा कर सेट किए और हम टाँगे फैला कर दीवार के सहारे धड टिका कर बैठ गए.

अब थी मेरी सारी उत्सुकता शांत करने की बारी, प्रतिमा ने धीरे धीरे एक एक सवाल का जवाब दिया, प्रतिमा भी एक ऐम ऐस डॉक्टर है, उसकी शादी को ६-७ महीने ही हुए हैं लेकिन पति के ट्रान्सफर ने सारा कबाडा कर दिया, कभी सात तो कभी कभी १५ दिन तक में एक बार डेढ़ दिन का मिलन होता है, हमारी दोनों की नौकरी ने हमें अलग कर रखा है.

तुम आए, मुझे अच्छे लगे, फ़िर तुम इतने अच्छे लुक के होते हुए भी इधर उधर मुंह नही मारते, बोलने का अंदाज बहुत अच्छा है, तमीज और आदर के साथ बोलते हो, तो मैंने ये निर्णय लिया. अब तो तुमको अनुभव हो गया होगा कि किस किस स्टेज पर कैसा मज़ा आता है. “Lund Malish XXX”

फ़िर उसने बताया कि ओर्गास्म के समय फेरोमोन नाम का हारमोन शरीर को परम आनंद की ओर ले जाता है और शरीर को पूरा रिलेक्स कर देता है. अब एक वादा करो कि यदि अब भी इधर उधर मुह नहीं मारोगे तो मैं तुमसे सम्बन्ध रखने को तैयार हूँ, जब मेरी इच्छा होगी तुमको बुला लूंगी. मैंने वादा किया. प्रतिमा ने और बताया कि मैं उनकी जिन्दगी में कुल दूसरा पुरूष हूँ.

अब फ़िर वो उठी और मेरी जांघो पर बैठ गई, हम बैठे हुए ही एक दूसरे की बाँहों में बंध गए. हमारे होंट फ़िर एक दूसरे के चिपक कर चूसने लगे. मैंने प्रतिमा को हिप्स के पीछे हाथ रखकर अपने से सटा लिया, उसकी चूत की दरार में मेरा लण्ड सेट हो गया. मेरे हाथ उसके बोबे दबाने लगे. उसके हाथ मेरे लण्ड को पकड़ कर उसकी चूत में क्लैटोरियस पर फिरने लगे, मैं उसकी जीभ चूसने लगा.

फ़िर अपने हाथ उसके बोबों से हटा कर अपनी उँगलियों के पोरों को उसकी एड़ी से छूआया और सिर्फ़ अँगुलियों के पोर हौले से छुआते हुए हाथ ऊपर को लाते गया. पिंडली, घुटने फ़िर जांघे और उसके बाद कूल्हे. कूल्हे तक आते आते प्रतिमा के शरीर में तेज हरकत होनी शुरू हो गयी.

उसके होंट मेरे होटों से हट कर सिसकियाँ भरने लग गए. उत्तेजना की लहरें उसके शरीर में उठने लगी, वो मेरे से एकदम चिपक गई. मैंने दो बार और इसी तरह किया. उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और बोबों पर कस लिए. मैं समझ गया की अब वो और बर्दाश्त नही कर सकती मैंने उसके बोबे भींचने शुरू कर दिए. अपने होंट उसके गले पर चिपका दिए और चूसने लगा.

अब उसने मेरी एडी से कूल्हों तक अपनी अँगुलियों का स्पर्श करते हुए हाथ फिराए. मेरे शरीर में बिजली फूटने लगी. मैंने कस कर प्रतिमा को अपने से चिपका लिया और उसके कूल्हों को अपने हाथों में थम कर प्रतिमा को ऊपर नीचे करने लग गया. इस बैठी पोसिशन का फायदा ये था की पूरा शरीर हाथों की हद में था. “Lund Malish XXX”

शरीर एक दूसरे को चिपके थे और दोनों के मुह एक दूसरे के बिल्कुल सामने थे और दोनों के हाथ कुछ भी करने को स्वतंत्र थे. प्रतिमा ने मेरी जीभ अपने मुह में लेकर चूसनी शुरू कर दी और अपने हाथ मेरी गर्दन के पीछे कस कर कूल्हे चंलाने शुरू कर दिए.

मैंने एक हाथ दोनों के बीच लेकर अपने लण्ड को पकड़ कर प्रतिमा को थोड़ा पीछे करके उसकी चूत के छेद पर सेट करके प्रतिमा के हिप्स के पीछे अपना हाथ लगाकर अपनी और खींचा. लण्ड सरकता हुआ उसकी चूत में जा घुसा और बच्चेदानी के मुह पे जा लगा. उसके मुह से सीसाहट निकलने लगी उसने फ़िर मेरे पूरे मुह को चाट दिया.

अब मैंने उसके कूल्हे हाथों में उठा कर ऊपर नीचे करने लगा. अब प्रतिमा ने इसी पोसिशन में सहयोग करना शुरू किया, हमारे होंट एक दूसरे को चूसने लगे। जैसे जैसे हम ओर्गास्म की तरफ़ बढ़ते गए, होंट बहुत जोरों के चूसे जाने लगे. कूल्हों की हरकत बढती गई. प्रतिमा के होंट ढीले पड़ने लगे और गर्दन पर हाथ कसते गए फ़िर एकदम से ढीले हो गए.

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प्रतिमा के मुह से लम्बी सीत्कार निकली और मेरे ओर्गास्म आने तक वो हिचकियाँ लेने लग गई. हम एक दूसरे को पकड़े जकडे फ़िर निढाल हो गए. १५ -२० मिनिट बाद धीरे धीरे हमारे शरीर में हरकत होने लगी. न चाहते हुए भी हम एक दूसरे से अलग हुए और अपने कपड़े इकठ्ठा करके उनको बदन पर डालने लगे. “Lund Malish XXX”

थोडी देर में हम वापस २ घंटे पुरानी हालत में आ गए. मैं विदा होने के लिए तैयार हो गया. प्रतिमा ने विदा होते समय कहा कि हमारे रिश्ते के बारे में किसी को भी पता नही चलना चाहिए. मैंने कहा कि बिल्कुल, ये भी कोई कहने वाली बात है, निश्चिंत रहो.

मेरे पूछने पर फीस के बारे में बताया कि ज्वेलरी उसके पास बहुत है, कोई यादगार आइटम लाकर दे देना, मैंने अगले ही दिन उसको प्यार करते हुए पेयर का चाइनीज शो पीस लाकर दिया, उसने बहुत खुशी से स्वीकार किया जो आज भी उसकी शो विण्डो की शोभा है.

वो मुझे बहुत समय तक बुलाती रही, २ सालों बाद भी वोही पहली बार की अनुभूति होती थी. जब मेरी शादी की बात चलने लगी तो भी वो बहुत खुश हुई, बोली मेरे प्यारे स्टुडेंट अब तुम्हारा एक्जाम का टाइम आ गया है, हम ऐसे ही मिलते रहेंगे. मजे करो.

और मेरी गुरुआनी के सबक मेरी शादी में बहुत काम आये. प्रतिमा ने मेरी पत्नी को देख कर मेरे कान में कहा कि तुम खुश किस्मत हो, सुखी रहोगे, लड़की अच्छी है. मैंने प्रतिमा को बोला मैं तो पहले से ही खुश किस्मत हूँ. शादी के बाद भी दो सालों से ज्यादा हम और साथ बने रहे फ़िर उसके पति का ट्रान्सफर रायपुर हो गया. अब मैं एक साथी की जरूरत महसूस करता हूँ. आपका स्वागत है…

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