Pyasi Vidhwa Aurat Chudai – भतीजे की टीचर साथ सेक्सी मौज मस्ती

Pyasi Vidhwa Aurat Chudai – भतीजे की टीचर साथ सेक्सी मौज मस्ती

Pyasi Vidhwa Aurat Chudai

इस बार अपनी इस कहानी में जो नायिका का रोल प्ले कर रही है वो एक प्राइमरी स्कूल की टीचर है, उनका नाम डिंपल है। उसकी उम्र यही कोई 30 के करीब होगी, रंग गोरा, पतली सी कमर, ऊपर मॉडर्न कपड़े आह क्या बोलू एक दम भारतीय अभिनेत्रियों को भी मात देती नखरीले स्टाइल की मालकिन है। Pyasi Vidhwa Aurat Chudai

हुआ यूं के मेरे भाई का एकलौता बेटा आयुष जो के 4 साल का है, उसका एक प्राईमरी स्कूल में नया दाखिला कराया था। तो उसे स्कूल से लेकर आना और छोड़कर आना इसकी ज़िम्मेदारी मुझपे थी। स्कूल घर से 5 किलोमीटर की दूरी पे था।

सो उसे बाइक से सुबह 8 बजे छोड़ने जाता और 11 बजे वापिस लेने जाता अब आप कहोगे ये क्या बात हुई भई के बस 3 घण्टे पढ़ाई, ओ प्यारे मित्रो 4 साल का बच्चा इतना टाइम ही बड़ी मुश्किल से बैठता है, जब तक मूड ठीक है बैठेगा, नही तो रो रो कर स्कूल सर पर उठा लेगा।

चलो आगे बढ़ते है– एक दिन ऐसे ही उसे स्कूल छोड़ने गया तो आयुष ने ज़िद करली के चाचू आप भी यही बैठो वर्ना मैं नही बैठूगा और आपके साथ घर चलुंगा। उसकी क्लास टीचर डिंपल मैडम है। जिसके बारे में ऊपर बताकर आया हूँ।

वो बोले,” यदि बच्चा इतनी ज़िद कर ही रहा है तो आप बैठ जाइये न, जिस से इसका भी दिल लग जायेगा और आपको दुबारा आने की परेशानी भी नही उठानी पड़ेगी। उसकी बात मुझे ठीक लगी तो मैं भी उसके पास थोड़ी देर के लिए बैठ गया। वो बड़े प्यार से सब बच्चों को पढ़ा रही थी।

इतने में एक बच्चे ने मेरी तरफ हाथ करके मैडम से बोला,” मैडम जी, इतना बड़ा बच्चा भी यहाँ पढने आया है क्या? जिस से मैडम और मैं दोनों हस हस के पागल हो गए, मैडम बोली,”हाँ बेटा नया है आज ही भर्ती हुआ है और फेर मेरी तरफ देखकर हसने लगी। काफी समय तक हसी मज़ाक चलता रहा।

इतने में हमारे जाने का टाइम हो गया। हमने उनसे आज्ञा ली और घर आ गए। रोज़ाना आने जाने से हमारी (मैडम और मेरी) जान पहचान बढ़ती गयी। एक दिन डिंपल मैडम बोली, शिवम जी, आप अपना मोबाइल नम्बर दे जाओ जब ये रोयेगा या इसकी छुट्टी का टाइम हुआ करेगा आपको काल करके बुला लिया करेंगे।

मेने अपना मोबाइल नम्बर दिया और घर आ गया। घर आये को करीब डेढ़ घण्टा ही हुआ था थोड़ा आराम करके सोचा नहा लू, बाथरूम में घुसा ही था के मोबाइल पे रिंग की आवाज़ सुनकर बाहर आ गया। जब देखा के नया नम्बर है, कौन हो सकता है, यही सोचकर जब कॉल रिसीव की तो सामने से एक प्यारी सी लड़की की आवाज़ आई,” हैल्लो, शिवम जी गुडमोर्निंग, मैं डिंपल, आयुष की क्लास टीचर बोल रही हूँ, आप इसे ले जाइये, इसको बुखार हो गया है। जिसकी वजह से बहुत रो रहा है।

मैंने जल्द ही आने का बोल कर कॉल को काटा और वही कपड़े पहन कर दुबारा बाइक पे स्कूल की तरफ निकल गया। मन में ही मैडम का धन्यवाद भी किया के यदि आज उन्हें फोन नम्बर न दिया होता, मुझे आयुष की हालात कैसे पता चलती। इन्ही सोचो में डूबा करीब 10 मिनट बाद स्कूल पहुंचकर, सीधा आयुष की क्लास की तरफ भागा, अंदर जाकर क्या देखता हूँ के आयुष को मैडम ने गोद में उठाया हुआ है और आयुष ज़ोर ज़ोर से रो रहा है।

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मैडम उसे बोल रही थी,” चुप होज बेटा चाचू आ रहे है, मेने बुलाया है उनको ! पर बच्चों का तो आपको पता ही है, वो तो नॉर्मली भी रोने लग जाये जल्दी चुप नही होते, अब तो उसे बुखार था। फेर कैसे चुप रहता। उसके सिर पे मैडम ने अपना रुमाल भिगो कर दिया हुआ था के सिर की गर्मी निकल जाये।

मुझे पास आया देख कर आयुष मेरी तरफ बांहे निकाल कर और रोने लगा। जेसे कह रहा हो, मुझे यहाँ नही रहना, आप बस ले जहाँ से। मैडम ने मुझे आयुष को पकड़ाया और बोली,” अच्छा हुआ आप आ गए, देखो न कितना शरीर तप रहा है, इसे जल्दी से घर ले जाओ और दवाई देदो। मेने उसके माथे पे उल्टा हाथ लगाकर उसका बुखार देखा, उसका माथा एक जलती भटठी की तरह तप रहा था।

मैंने मैडम को धन्यवाद बोला और उनका रुमाल उन्हें वापिस देना चाहा, मैडम ने उस वक़्त वापिस लेने से मना कर दिया और कहा, बच्चे को ठीक हो जाने दो, फेर कभी वापिस ले लेंगे। मुझे उसकी बात अच्छी लगी और उनसे विदा लेकर बच्चे को सीधा डॉक्टर के पास ले गया।

डॉक्टर ने कहा,” बुखार बहुत ज्यादा है इस लिए इंजेक्शन नही लगा सकता, इसको बुखार उतरने की दवाई दे देता हूँ। घर जाकर दे देना। वैसे आपने बहुत अच्छा किया ये रुमाल भीगो कर इसके सर पे दिया है। इस से इसके दिमाग के बुखार का खतरा कम हो गया है।

मैने मन में ही मैडम का धन्यवाद किया और आयुष को लेकर सीधा घर आ गया। घर घुसते ही जब आयुष के सिर पे भीगा रुमाल बंधा देखकर भाभी (आयुष की माँ) अचंभित रह गई और भाग कर पास आई और बोली, क्या हुआ है इसे शिवम? तो मैंने सारी कहानी सुना दी।

भाभी ने भी डिंपल मैडम को बहुत दुआए दी। जिस से मैडम के लिए मेरे दिल में बहुत इज़्ज़त और प्यार बढ़ गया। दवाई की वजह से शाम तक थोड़ा बुखार उत्तर गया था और आयुष आगन में ही खेल रहा था।

मैंने पास जाकर उससे पूछा,” क्यों जनाब कैसे हो उत्तर गया बुखार क्या आपका? आयुष ने पास आकर मुझे जफ्फी में लिया और तोतली सी आवाज़ में बोला,” तातू दाई कोली इ नी थाउगा.

(मतलब चाचू दवाई कड़वी है नही खाऊँगा)

मैंने ऊसे गले लगाया और कहा बेटा एक बार ठीक होजा, फेर हम दवा दूर फेंक देंगे।

जिस से वो खुश हो गया और ताली बजाकर हसने लगा। रात को करीब 9 बजे फेर मैडम का काल आया और आयुष की तबियत का पूछा। मैंने थोड़ा ठीक होने का बताया और खास तोर पे धन्यवाद बोला आयुष की केयर करने के लिए।

उसने बोला,” धन्यवाद की कोई जरूरत नही है जनाब, एक टीचर की हैसियत से मेरा फ़र्ज़ बनता था। सो मेने तो अपना फ़र्ज़ निभाया है। कोई और मेरी जगह होता वो भी शयद यही करता।

थोड़ी देर इधर उधर की बाते करने के बाद उसने फोन काट दिया। अगले दिन आयुष बिलकुल ठीक था । उसकी माँ ने उसे स्कूल के लिए तैयार कर दिया और मैडम का रुमाल भी धोकर प्रेस करके दिया के मैडम को वापिस दे देना।

जब हम सकूल पहुंचे तो आयुष की मैडम आज आई नही थी। मैंने उन्हें काल लगाया तो पता चला उनको बहुत ज्यादा बुखार है और नही आ सकती। मैंने उनका एड्रेस लिया और आयुष को वापिस घर छोड़कर उसके घर चला गया। जब बताये पते पे जाकर डोर बैल बजाई तो नाईट ड्रेस में ही मैडम ने दरवाज़ा खोला।

दरवाजा खोलते ही बुखार की वजह से मैडम को चक्र आ गया और गिरने ही वाली थी के भाग कर मैंने उन्हें जफ्फी में ले लिया और गिरने से बचा लिया पर वो बेहोश हो गयी थी, उसका शरीर भी तप रहा था। उन्हें उठाकर उनके बैड पर लेटा दिया और पास पड़े पानी के गिलास से थोडे पानी से उसके मुँह पे छीटे मारे।

जिस से उसको थोड़ा होश आया और मुझे पास बेठा देखकर लेटी हुई बैठने की कोशिश करने लगी, पर उठ न पायी। मैंने उन्हें लेटे रहने का ही इशारा किया और पूछा, कितना बुखार है आपको कोई दवा वगैरा ली या नही आपने। मोबाइल आपके पास है, काल कर लेते, इतना कष्ट भी झेला ।

इसपे वो बोली,” नही कल देर रात से कपकपी वाला बुखार हुआ है, और उठकर दवा तो दूर कपड़े बदलने की हिम्मत भी नही है। अच्छा हुआ आप आ गए। बैठो आपके लिए चाय बनाती हूँ, पहली बार तो मेरे घर आये हो। जैसे ही उठने लगी फेर गिर गयी।

मैंने उन्हें लेटे रहने का बोला और मैं उनकी रसोई का पता करके खुद चाय बनाने चला गया। करीब 5 मिनट बाद दो कप ट्रे में ले आया और एक कप उनको एक खुद लिया। बाते करते करते उसने बोला यदि आप बुरा न मानो तो मेरे साथ अस्पताल तक जा सकते हो।

मैंने बोला क्यों नही जनाब, एक दोस्त होने के नाते आपकी सेवा करना इस वक़्त फ़र्ज़ है मेरा और कोई मेरी जगह होता वह भी शयद यही करता।

वो बोली, मेरे ही शब्द मुझपे बोल दिए, बड़े बदमाश ओ जी.

मैं — अभी हमारी बदमाशी देखी ही कहाँ है और हम दोनों हसने लगे।

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चाय खत्म करके उसे सहारा देकर बाथरूम छोड़ आया। जहां उसने कपड़े बदले और मेरे साथ अस्पताल जाने के लिए तैयार हो गयी। संयोगवश हम दोनों उसी अस्पताल गए। जहां मैं आयुष को दवाई दिलाने एक दिन पहले लेकर गया था।

हम दोनों हम उम्र होने की वजह से डॉक्टर हमे गलतफैमी से पति पत्नी समझ रहा था बोला,” आपकी बीवी को बहुत तेज़ बुखार है। इसके माथे पे गीले कपड़े की पट्टी करो। तब तक मैं दूसरे मरीज़ को देख कर आता हूँ।

इस से पहले मैं डॉक्टर की गलतफैमी दूर करता। वोे हाल में पड़े मरीज़ों को देखने चला गया। मैंने वहां ही रुमाल निकाला और पानी से भिगो कर उसके माथे पे पट्टी करने लगा। जिस से मैडम को थोडा निजात भी मिल रही थी, पर पता नही ऐसा क्या हुआ के मैडम की आँखों में आंसुओ की धारा बहने लगी। मैंने उन्हें पूछा कया हुआ मैडम ?

वो कुछ नही बोली और सिर्फ रो रही थी और कुछ भी बता नही रही थी। जिस से मुझे उसकी और भी चिंता हो रही थी। इतने में डॉक्टर जब दुबारा चेक करने आया मैडम ने अपना चेहरा साफ कर लिया और ऐसे पड़ी रही जेसे 5 मिनट पहले कुछ हुआ ही नही था।

डॉक्टर ने उसका बुखार चेक किया और बोला, बधाई हो आपकी बीवी का बुखार काफी हद तक उत्तर चूका है। अच्छा किया के जल्द से ले आये वरना इनके दिमाग को बुखार हो सकता था। डॉक्टर ने दवा दी और कल फेर चेक करवाने को कहा, वहां से निकल कर जब रोड पे आये तो पूछा क्या बात है आप इतना रो क्यों रही थी। “Pyasi Vidhwa Aurat Chudai”

वो बोली, घर चलो सब बताती हूँ.

फेर एक रेस्टोरेंट के सामने रोकने का इशारा किया और बोला, ये लो पैसे और अंदर से खाना पैक करवा लाओ, आज तबियत खराब की वजह से मुझसे बनेगा नही। मैंने वैसा ही किया और खाना लेकर उसके घर आ गए। उसने एक टेबल पे खाना परोसा और हम दोनों खाना खाते बाते करने लगे। उसने बताया के उसका यह अपना शहर नही है, वो यहां सिर्फ नौकरी करती है।

मैंने पूछा, तो तुम्हारा असली घर कहाँ है और घर वाले कहाँ है?

मेरी इस बात पे फेर रोने लगी,” मैंने उठ कर उसे गले लगाया और चुप कराया और पूछा क्या वजह है बार बार रोने क्यू लग जाते हो।

वो बोली,” शिवम काश मेरा पति भी इतना प्यार कर पाता, जितना तुमने सुबह से लेकर अब तक किया है।

पति का नाम सुनते ही मुझपे तो जैसे एक बिजली गिर गयी।

क्योंके बाकि लोगों की तरह मैं भी अब तक उसे कुंवारी ही समझ रहा था।

मैंने हैरानी से पूछा अ,” क्या आप शादीशुदा हो ?

वो रोते हुए बोली,” हाँ शिवम मेरी शादी भी आज से 5 साल पहले माँ बाप ने बड़ी धूम धाम से की थी। मेरा अपना मायका गंगानगर में है और सुसराल पंजाब में है। मेरे घर वालो ने मुझे खूब दाज़ दहेज देकर विदा किया था अपने घर से, पर कहते है न जब किस्मत में सुख न हो, तो अकेला पैसा भी कुछ नही कर सकता।

शादी के 1 साल बाद ही मेरा पति मनमीत मुझे बात बात पे मारने पीटने लगा। जब एक बार मै 6 महीने तक गर्भवती हुईं, तो एक दिन दारू पीकर घर आया जब उससे इतनी दारू पीने का कारण पूछा तो मुझे इतना मारा के अपने आप मेरा गर्भपात हो गया। एक महीना मायके में पड़ी रही।

मैं उनसे बहुत प्यार करती थी, पर मार पीट की वजह और अपने बच्चे को खो देने के गुस्से से उनसे दूरी बनाकर रखी थी। कई महीनो बाद एक दिन मेरा पति मायके आया और मुझसे माफ़ी मांगी के आगे से ऐसी गलती कभी नही होगी।

तो माँ बाप ने मुझे उनके साथ भेज दिया। मुझे भी लगा शायद अब सुधर गए है, अब नही कोई शिकायत का मौका देंगे। पर मेरी सोचनी गलत थी। मेरे सुसराल आने के बाद कुछ दिन माहौल ठीक रहा फेर वही झग़डा, मार पीट करने लगा और एक दिन ज्यादा नशा कर लेने की वजह से रात को एक गाडी की चपेट में आने से इनकी मौत हो गयी।

भगवान भी जैसे मेरी परीक्षा ले रहा था। पहले मारपीट झेलती रही, फेर बच्चा खो दिया, और अब पति भी ज़िन्दगी से निकल गया। पहले तो अकेली गोद सूनी थी, अब मांग भी सूनी हो गयी थी। इधर मेरे सास ससुर मुझे ही कोसते रहते और बोलते,” पहले नई नई आई अपना बच्चा खा गयी, अब अपने सुहाग को ही निगल गयी। कैसी डायन हमारे पल्ले पड़ गयी। दिन भर ऐसी सेंकडो दिल जलाने वाली बाते करते और् मैं चुप चाप सुनती रहती। “Pyasi Vidhwa Aurat Chudai”

पहले मैडम के शादीशुदा होने पे झटका लगा था और अब उसके विधवा होने का सुनकर मैं सुन हो गया। वो लगातार बोलते ही जा रही थी, मैंने सुसराल छोड़ दिया और मायके में जाकर रहने लगी, वहाँ किसी भली औरत के सम्पर्क में आई उसने मेरी यहाँ इस शहर में नौकरी लगवादी और एक कमरा जिसमें अब हम बैठे है, उसी भली औरत का है, उसने मेरी हालात देख कर फ्री में रहने को दिया है। अब अकेली रहती हूँ, जितना कमाती हूँ, सब अपना है, आगे कोई ख्वाहिश नही है।

अस्पताल में रोना इस लिए आ गया के डॉक्टर को नही पता था आप कौन हो उन्होंने आपको मेरा पति बना दिया। क्योंके मेरी तरह उन्हें भी आप मेरे पति लगे। आपके बेटे यानि आयुष में मुझे मेरा अबो्र्ट हुआ बच्चा और आपमें मेरा स्वर्गवास हुआ पति मनमीत दिखता है। इस लिए आप दोनो से इतना स्नेह है। वैसे तो क्लास में सेंकडो बच्चे है, पर आयुष से ही इतना लगाव है। कभी कभी मुझे लगता है भगवान ने मुझे मेरा बच्चा आयुष के रूप में खेलने के लिए वापिस दे दिया है।

सच पूछो तो उस दिन जब आयुष बीमार पड़ा था। मैं बहुत घबरा गयी थी। पता नही क्यों लगा के मेरा अपना बच्चा ज्वर से तडप रहा है। इस लिए उसे इतना सम्भाल कर रखा, यदि आप आधा घण्टा और न आते तो मै उसे शायद डॉक्टर के पास भी ले जाती।

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आपसे मोबाइल नम्बर लेना भी एक बहाना था, ताकि आपके सम्पर्क में रहूँ। इतने सालो से दबाई काम अग्नि, प्यार, ममता आप दोनों के साथ रहकर भड़क उठी है। मुझे नही पता मेरे लिए ये सही है या नही पर कहते है न अपनों के सामने दिल खाली कर लेना चाहिए। “Pyasi Vidhwa Aurat Chudai”

आज सुबह आपने अपना सारा काम काज छोड़कर सारा दिन मेरे साथ बतीत किया है। इसी बात के लिए मेरी नज़रो में आपकी इज़्ज़त बहुत बढ गयी है। आपको सुनकर चाहे बुरा लगे। मैं आपको दिल ही दिल में प्यार करने लगी हूँ। सोते जागते बस आपका ही ख्याल आ रहा है। आपके सुबह के स्पर्श ने मन में हलचल सी पैदा करदी है।

मैं उसके ख्यालो में इतना खो गया जे पता ही न चला उसने बोलना बन्द बी कर दिया है।

मेरी तरफ देखकर वो चुटकी बजाकर बोली.

हैलो किधर खो गए जनाब ?

मैं — नही कही भी नही , सोच रहा हूँ ऐसा भगवान क्यों करता है अच्छे लोगो से धक्केबाज़ी।

वो — शयद आपसे और आयुष से मिलाना था भगवान ने मुझे !

अब जो भी बोलो मुझे कोई फर्क नही पड़ता, पहले डरती थी के मेरी सचाई जानकर कही मुझसे किनारा न करलो आप। अब चले भी जाओगे तो थोडा दुख तो होगा पर आपसे प्यार करती हूँ न तो झूठ नही बोला गया आपसे। एक बात और आप तीसरे सक्क्ष हो जिनमे एक मैं खुद, दूसरी वोह भली औरत और आप जिसे मेरी कहानी पता है। नही तो स्कूल वाले भी नही जानते मेरी सचाई। वो अभी भी मुझे कुंवारी ही मानते है।

क्या मेरे साथ सेक्स करोगे आप शिवम, उसकी इस बात पे मेरा मुह खुले का खुला रह गया।

क्योंके वो लड़की होकर इतना कर रही थी और मैं लड़का होकर भी शर्मा रहा था।

बोलो चुप क्यू हो, करोगे क्या ?

उसकी आँखों में एक बेनती, एक प्यास, एक समर्पण और भी बहुत सी भावनाये छलक रही थी।

मैंने उस समय के हालात को भगवान का ऐसा ही लिखा समझकर हाँ बोल दी। जिस से वह गले लग कर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी और लव यु सो मच शिवम, आई कैंट नेवर लीव विदाट यू बार बार बोलकर मेरे चेहरे पे किस करने लगी। मैंने भी मी टू कहा और उसकी पीठ थपथपाकर चुप होने को बोला, चुप होजो पलीज़ आप जैसा बोलोगे वैसा करेगे, फिलहाल ठीक हो जाओ एक बार। “Pyasi Vidhwa Aurat Chudai”

उसने रोना बन्द कर दिया इधर रात होने को थी। उसे दवाई देकर और लिप किस करके अपने घर आ गया। रात को फोन पे बात भी की , ज़िन्दगी में पहली बार खुद पर मान महसूस हो रहा था जब किसी लड़की ने इतना मेरे लिए सोचा था। अगले दिन सुबह रविवार था। उसकी 7 बजे काल आई के आज शाम को घर आ जाओ, आपके लिए सरप्राइज़ गिफ्ट है।

मैंने जल्दी से घर ले सारे पेंडिंग काम खत्म किए और शाम को बाइक स्टार्ट की और उसके घर की तरफ निकल गया। रस्ते भर में सोचता जा रहा था ऐसा क्या सरप्राइज़ हो सकता है। वहां पहुंचकर उसने दरवाजा खोलकर मेरे अंदर आते ही उसने दरवाजा बन्द कर दिया और मेरे गले में अपनी बाँहो का हार डाल दिया और लिप किस करने लगी। जिसमे मैं उसका साथ देने लगा।

करीब 5 मिनट हम ऐसे ही लिप किस करते एक दूजे में मगन रहे। फेर मैंने उसे गोद में उठाकर उसके बैडरूम की तरफ ले गया। बेड को शानदार तरीके से सजाया गया था, जैसे फूलो से सुहागरात में सजाया जाता है। अंदर आते ही बोली, क्यों डार्लिंग केसा लगा सरप्राइज़ हमारा, मैंने भी हस कर बोला बहुत बढ़िया जानू जी।

वो बोली, अब खड़े खड़े क्या देख रहे हो पधारो न अपनी सुहाग सेज़ पर । उसकी बात सुनकर मैंने जूते उतारे और उसको लेकर बेड पे आ गया। उसे पीठ के बल लिटाया और खुद ऊपर आकर उसको कभी माथे पे किस, कभी होंठो पे तो कभी गालो पर चूमने लगा। “Pyasi Vidhwa Aurat Chudai”

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वो हंसकर बोली,” रुक जाओ पतिदेव पहले शादी वाली रस्म तो पूरी कर लेंने दो। उसने उठकर दूध का गिलास उठाया और मुझे पीने को दिया। जो हमने आधा आधा पिया। एक मिठाई के छोटे से डिब्बे में से बर्फी का पीस निकाल कर हम दोनों ने खाया। वो घूंघट ओडकर बोली,” अब मुंह दिखाई में क्या दोगे?

मेने बात मज़ाक में डाल ली अपना वो काला काला, जिससे कमरे में हम दोनों की हंसी गूंजने लगी।

मैंने तो काला पर्स बोला यार, तुम ही कुछ और समझ रही हो हाहाहाहा की गूँज एक बार फेर गूंजी। मेने अपनी जेब से पर्स निकल कर उसके हवाले कर दिया। इस बार डिंपल थोड़ा भावुक सी हो गयी।

मै — क्या हुआ अब किस बात पे रोना आ गया ?

वो — ऐसा ही माहोल था 5 साल पहले जब पहली बार शादी का जोड़ा पहना था।

मैंने उसके दिल की बात समझ कर उसे गले लगाकर दिलासा दिया और कहा,” चुप हो जाओ यार प्लीज़ बहुत रो लिया आपने आज से पहले। आज हसने का दिन है। आज तो नई ज़िन्दगी की शुरुआत हुई है।

चलो चुप हो जाओ प्लीज़, ये टाइम रोने धोने में न गंवाओ, आओ मिलकर इसे सुनहरी याद बनाए। उसने सहमती में सिर हिलाया और अपना मुह पोंछा और लेट गयी। अब लेटी ही मेरे कमीज़ के बटन खोलने लगी, जिसे उसकी मुश्कल को आसान करते हुए मेने कमीज़ और अपना पायजामा भी दोनो उतार दिए।

अब बस अंडरवियर में था। वो मेरे शरीर को बड़े ध्यान ने देख रही थी। मैंने शरारत भरे लहज़े में बोला, मुझे तो नंगा कर दिया और आप खुद कपड़ो में हो, ये तो बहुत नाइंसाफी है जनाब। “Pyasi Vidhwa Aurat Chudai”

इसपे वह हस कर बोली, आपको किसी ने रोका है, उतार दो। मैंने उसे बैठने को बोला और उसकी कमीज़ निकाल दी, और पीछे हटकर उसकी सलवार का नाडा भी खोल दिया। अब वह सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। क्या गज़ब का शरीर लग रहा था।उसके बाल खोल दिए और एक तरफ करके पीठ पे एक किस करदी। जिस से वो आँखे बन्द करके मौन करने लगी।

फेर ब्रा की स्ट्रिप्स की पिन्स खोलकर उसमें कैद कबूतरो को आज़ाद कर दिया। ब्रा खुलते ही दोनो कबूतर उड़ने के लिए फड़फड़ाने लगे। उसको लिटा कर एक मम्मे को मुह में लेकर चूस रहा था तो दूजे को, दूजे हाथ से हल्का हलका दबा रहा था। उसके मुह से आआआअहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्उई.. सी.. !!! आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।।। जैसी कामुक आवाज़ें आ रही थी ओर वो अपने हाथ से मेरे अंडरवियर के उपर से ही मेरे लण्ड जो मसल रही थी। जो के आग में घी का काम कर रहा था। उसने उठ कर मेरा अंडरवेअर टांगो से निकल दिया और लन्ड को मुह में लेकर चूसने लगी।

मैं तो जैसे उपरली हवा में गोते लगा रहा था। जो मज़ा आ रहा था शब्दों में बयान नही हो सकता। कभी लण्ड के गुलाबी सिर पे गोल गोल जीभ घूमाती और कभी हल्का हलका दांतो से काट देती। जब थोडा दर्द महसूस करता तो हस कर चिढ़ाती।

कभी आंण्डो को होठो के बिच लेकर चुस्ती। इस तरह 10 15 मिनट लण्ड से खेलती रही। फेर उठ कर बैड पे आ गयी। अब हम दोनों बिलकुल नंगे एक दूजे में समाये हुए थे। मानो समय रुक सा गया हो। मेने थोड़ा निचे सरक कर उसकी टांगो में अपनी जगह बनाली और उसकी शेव की हुई चूत को जीभ से चाटने लगा। जिसमे से कामरस की अजीब सी महक आ रही थी। मेरी इस हरकत से उसके शरीर में जेसे 440 वाट का करन्ट दौड़ गया। उसकी आँखे बन्द हो गयी और एक लम्बी अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह..!! “Pyasi Vidhwa Aurat Chudai”

निकल गयी। फेर उस्की चूत की पंखुड़ियो को होठो में लेकर चूसने लगा। मेरी इस तरह की हरकत उसे लगातार गर्म कर रही थी। अब उसकी चूत से थोडा थोड़ा चूतरस बहने लगा । जो के एक पक्की निशानी था के वो अब बहुत गर्म हो चुकी है।

मेने ज्यादा समय न बर्बाद करते हुए। उसे सीधा लिटाया और अपना लण्ड उसकी चूत के मुह पे सेट करके हल्का धकका दिया। जो के लण्ड चूतरस की वजह से फिसल गया। फेर दुबारा टाँगे खोल कर धक्का लगाया। इस बार सिर्फ मेरे लण्ड का सुपारा उसकी चूत में घुस गया। जिस से उसे दर्द हो रहा था।

क्योंके पिछले 2-3 सालो से चुदी न होने के कारण उसकी चूत थोडा टाइट हो चुकी थी। जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने फेर थोडा पीछे हटकर हिट किया। इस बार आधे से ज्यादा लण्ड मैडम की चूत में घुस चूका था।

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उसने बोला,” मेरे दर्द की परवाह न करो, तुम अपना काम जारी रखो। मैं उसकी बात पे गौर करके लगातार तगड़े तगड़े शॉट्स लगाता रहा और अब जड़ तक लण्ड मैडम की चूत में था। मैडम को दर्द तो हो रहा था फेर भी मुझे और तेज़ और तेज करने को बोल रही थी।

मेने अपना काम जारी रखा, अभी काम स्टार्ट हुए को 5 मिनट ही हुए थे के मैडम ने मुझे बाँहो में जकड़ लिया और एक लम्बी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह से झड़ गयी। उसके गर्म गर्म पानी को अपने लण्ड पे महसूस किया। मेने अपना काम जारी रखा और जब मेरा भी वीर्य निकलने वाला था तो पूछा कहाँ निकालू ? “Pyasi Vidhwa Aurat Chudai”

मैडम बोली,” मेरी सालो से सूखी चूत में ही झड़ जाओ, आपका पानी अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ। फेर मेने भी एक लम्बी आह्ह्ह्ह्ह् से उसकी चूत अपने वीर्य से भर दी और तब तक उसके ऊपर लेटकर पिचकारियां छोड़ता रहा जब तक आखरी बूँद न चूत में नुचड़ न गयी। अब हम दोनों के चेहरों पर सन्तुष्टि के हाव भाव साफ झलक रहे थे।

फेर हम थक कर एक दूसरे की बाँहो में पड़े रहे और पता ही नही चला कब नींद आ गयी। दोपहर को उठकर हम साथ में नहाये और खाना खाया। बाद में घर से फोन आने की वजह से मुझे उसे छोड़कर आना पड़ा। आज भी जब भी दिल करता है हम दोनों पति पत्नी की तरह सेक्स के मज़े लेते है।

 

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