प्यार भरे सफ़र की शुरुआत हो गई – Crazy Sex Story

प्यार भरे सफ़र की शुरुआत हो गई – Crazy Sex Story

Nipples Par Kamuk Chumban

मैं फ़िरोज़ाबाद में रहता हूँ, मेरी हाइट 6 फ़ीट और अच्छे व्यक्तित्व का मालिक हूँ. मैं फ़िरोज़ाबाद से करीब 50/60 किलोमीटर पे एक फैक्ट्री में मैनेजर की पोस्ट पे जॉब करता हूँ. मैं अपनी बीवी और दो बच्चों के साथ बहुत खुशहाल जीवन जी रहा हूँ. पर मेरे साथ घटी एक घटना ने मेरे जीवन में कुछ बदलाव ला दिए. Nipples Par Kamuk Chumban

मैं रोज़ अपने शहर से अपनी कार से दूसरे शहर में जॉब करने जाता हूँ. मेरा सफर करीब एक घंटे का है. आते हुए मुझे अकेले ड्राइविंग करते हुए काफी बोरियत सी महसूस होती तो मैं कभी कभार किसी की लिफ्ट दे दिया करता था.

एक दिन मैं अपनी फैक्ट्री से निकला तो थोड़ा सा आगे आने पे एक औरत ने मेरे से लिफ्ट लेने के लिए हाथ से इशारा किया तो मैंने कार रोक ली. मैंने कार का शीशा नीचे किया तो उसने मुझे लिफ्ट के लिए रिक्वेस्ट की जिसे मैंने स्वीकार कर लिया.

मैं आपको उस औरत के बारे में बता दूँ … उसकी हाइट करीब पांच फ़ीट आठ इंच होगी, रंग एकदम गोरा और शरीर ऐसा जैसे किसी सांचे में ढाला गया हो। पतली कमर लम्बी गर्दन. पूछने पर उसने बताया कि वो वहीं फैक्ट्री में जॉब करती थी जो मेरी फैक्ट्री के बिल्कुल पीछे थी.

मैंने उसका नाम पूछा तो बोली- जी मेरा नाम कविता है और मैं आपके पास वाली फैक्ट्री में ही जॉब करती हूँ. मैंने उसे अपना नाम बताया- मैं पंकज. वो बोली- मैंने आपके बारे में सुन रखा है, आप हमारे साथ वाली फैक्ट्री में जनरल मैनेजर हैं और फ़िरोज़ाबाद से रोज़ आते हैं. यह कह कर वो मुस्कराने लगी.

मैं बोला- अरे मेरे को नहीं मालूम था कि मैं इतना फेमस हूँ. तो वो हंसने लगी. उसका स्टॉप आने वाला था तो उसने बोला- सर, अगर आप मेरे को रोज़ अपने साथ ले आया करें तो मेरा बहुत टाइम बच जायेगा क्योंकि वहां से रेगुलर बस सर्विस नहीं है.

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मैं बोला- मेरे को कोई दिक्कत नहीं है, आप मेरे को इवनिंग में कॉल कर लेना. और मैंने अपना फ़ोन नंबर उसे दे दिया. अगले दिन 5.30 पे उसका कॉल आया पूछने के लिए मैं कब तक निकलूंगा फैक्ट्री से! मैंने ‘पांच मिनट’ बोल कर फ़ोन काट दिया. मैंने उसको स्टॉप से कार में बिठाया. आज वो मेरे साथ कम्फर्टेबल महसूस कर रही थी.

मैंने उसके बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो मैरिड है दो बच्चे हैं उसके एक 5 साल का बेटा और 2 साल की बेटी. वो अपनी मायके में रहती है. उसकी माँ हैंडीकैप्ड है और उनकी देखभाल करने वाला और कोई नहीं है उसके सिवा! इसी बात को लेकर उसका अपने पति और ससुराल से कोर्ट केस चल रहा था.

इस तरह से शाम को हमारा रोज़ साथ आना एक रूटीन बन गया और हमारी नज़दीकियाँ बढ़ने लगी. एक दिन शाम को वो काफी उदास थी. पूछने पर उसने बताया कि कंपनी ने उसे दूसरी फैक्ट्री में ट्रांसफर कर दिया जो दूसरे रास्ते पे थी और वहां मॉर्निंग में टाइम पे पहुँचना काफी मुश्किल लग रहा था उसे.

वो जॉब छोड़ने के लिए बोलने लगी तो मैंने उसे बोला- जॉब मत छोड़ो जब तक दूसरी नहीं मिलती. मैं तुम्हें मॉर्निंग में भी ले आया करूंगा और पहले तुम्हें तुम्हारी फैक्ट्री छोड़ दिया करूँगा. इससे वो बहुत खुश हुई और बोलने लगी- मैं आपका अहसान कैसे चुकाऊँगी? मैं बोला- दोस्ती में कोई एहसान नहीं होता.

अब हम सुबह और शाम दोनों टाइम साथ आने जाने लगे और खूब मस्ती करते आते जाते. अब फ़ोन पे भी हमारी बात दिन में और रात को भी होने लगी और खूब रोमांटिक बातें भी करते.
बहुत ज़िंदा दिल औरत थी वो … हमेशा खिलखिलाती रहती और बहुत बोल्डली कुछ भी बोलती.

इस बीच मैंने उसकी कई बार हेल्प की उसके घर के कामों में और उसके कोर्ट केस में भी. जब भी केस की तारीख होती तो मैं उसे साथ लेकर जाता, घण्टों कोर्ट से बाहर ही उसका वेट भी करता.
इसी तरह से एक साल बीत गया, हमारी कहानी यों ही चलती रही पर इस से आगे कभी न मैं बढ़ा न वो आगे बढ़ी.

एक दिन दिन कविता की कमर में बहुत दर्द था तो मैंने उसे उसके घर तक छोड़ा तो उसकी माँ से भी मिला. उन्होंने बोला- बेटा तेरा बहुत अहसान है हम पे … और कोई नहीं है जो इतना कर सके.

अगले दिन सुबह मैं जब फैक्ट्री आ रहा था तो उसे स्टॉप पे आने के लिए कॉल किया तो वो बोली कि उसे बहुत दर्द है वो उठ भी नहीं पा रही है. उसकी माँ ने मुझे रिक्वेस्ट की कि मैं उसको डॉक्टर को दिखा दूँ.

मैं उसको डॉक्टर के पास लेकर गया, उसका अच्छे से ट्रीटमेंट करवाया. इसके बाद मेरे और उसके रिलेशन और भी क्लोज हो गए. अब अक्सर बातचीत का टॉपिक सेक्स की तरफ भी मुड़ जाया करता था. एक दिन उसकी उसके किसी सीनियर से बहस हो गयी और उसने जॉब छोड़ दी. मुझे कॉल कर के बुलाया तो मुझसे लिपट के रोने लगी.

इसी तरह एक हफ्ता बीत गया, हम मिले नहीं पर फ़ोन पे सारा दिन बात करते थे। वो बोली- मुझे आपसे मिलने का दिल कर रहा है. तो मैं बोला- मिल लेते हैं शाम को। वो बोली- नहीं, कहीं घूमने चलते हैं कहीं बाहर।

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उसने वृन्दावन जाने का प्रोग्राम बनाया, मैंने भी हाँ कर दी। मैंने कंपनी से शनिवार की छुट्टी ले ली और हमने शुक्रवार की शाम को जाने प्रोग्राम बना लिया। मैंने कंपनी से 4 बजे छुट्टी कर ली और उसे रास्ते में से पिक किया और वृन्दावन की ओर चल दिए.

कविता का पांच साल का बेटा भी साथ था। आज मैं उसे कुछ अलग नज़रिये से देख रहा था और सोच रहा था कि अगर मेरे और उसके बीच में शाररिक सम्बन्ध बन जाये। आज उसको पाने की बहुत तमन्ना हो रही थी पर उसका बेटा भी साथ था तो मेरे को ये मुमकिन नहीं लग रहा था।

वैसे भी एक डर लग रहा था कि अगर उसने मेरे से दोस्ती ही तोड़ दी तो? वो कितना विश्वास करके मेरे साथ आयी है और उसकी माँ ने भी मेरे ऊपर विश्वास किया है। मेरे अंदर से आवाज़ आयी- नहीं, मैं ऐसा वैसा कुछ नहीं करूंगा।

इसी कशमकश में हम दिल्ली पहुँचने वाले थे। उसका बेटा पीछे की सीट पे सोया था तो मैंने उसके हाथ पे हाथ रख दिया उसने कोई रिएक्शन नहीं किया तो मैं उसका हाथ अपने हाथ में लेकर गियर पे रख लिया और गाड़ी चलता रहा।

उसने पूछा- हम मथुरा कब तक पहुँच जायेंगे? तो मैंने बोला- अभी तो बहुत दूर है. उस टाइम 8.30 बज गए थे और हम दिल्ली के अंदर एंटर हो चुके थे। मैं बोला- मैं थक जाऊँगा इतनी लम्बी गाड़ी चला के … वैसे भी सुबह से कंपनी में था। उसने मुझसे पूछा- फिर क्या करेंगे?

मैं बोला- नाईट स्टे कर लेते हैं, वहां से सुबह उठ के चले जायेंगे. इस तरह से इजी रहेगा। उसने भी हाँ कर दी। दस बजे के आस पास हम फ़रीदाबाद पहुँच गए और होटल ढूंढने लगा। एक होटल के सामने गाड़ी रोकी तो मैंने दो रूम के लिए पूछा तो मेरे को रेंट थोड़ा जयादा लगा।

कविता बोली- दो रूम क्यों लेने हैं? एक में ही एडजस्ट कर लेंगे. सोना ही तो है, वैसे भी मॉर्निंग में जल्दी उठ के चल पड़ेंगे। मैं बोला- ठीक है, अगर तुम्हें मेरे साथ एक ही रूम में रात गुजारने पे कोई दिक्कत नहीं है तो ले लेते हैं।

मैंने होटल वाले को ओके बोला और कविता और उसके बेटे को रूम में जाने के लिए बोला और मैं होटल की फोर्मलटीज़ पूरी करने लगा। होटल के रजिस्टर में साथ ठहरने वाले के साथ क्या रिलेशन है भरना था तो मैंने वहां वाइफ लिख दिया और ये बात जब कविता को बताई तो वो हंसने लगी।

हमने खाना खाया और वो चेंज करने के लिए वाशरूम में चली गयी। मैं सोच रहा था कि अगर ये मेरे साथ सो जाये तो मज़ा आ जाये. पर फिर सोचा कि बेटा भी तो साथ है, कविता इसको बीच में सुलायेगी। पर जब वो चेंज कर के बाहर आयी उसने लोअर और टी शर्ट पहनी हुई थी. इन कपड़ों में कविता गज़ब सेक्सी लग रही थी।

मैं बोला- तुम दोनों बेड पे सो जाओ और मैं सोफे पे सो जाता हूँ।

वो बोली- नहीं, आप थके हुए हैं, बेड पे ही सो जाओ, एडजस्ट कर लेते हैं।

मैंने बोला- तुम्हारा बेटा रात को नींद में लातें तो नहीं मारेगा?

वो हंसने लगी, बोली- मैं बेटे को दूसरी साइड में सुला देती हूँ.

उसने अपने बेटे को दीवार वाली साइड में सुला दिया, बीच में वो लेट गयी और एक साइड में मैं लेट गया, हमने एक ही रजाई औढ़ रखी थी। वो अपने बेटे से बात करते हुए उसे सोने के लिए बोल रही थी और इधर मुझे उसके शरीर की खुशबू पागल बना रही थी। फिर भी मैं अपने आपको काबू में किये हुए था. तभी वो सीधी हो गयी तो मैं उससे थोड़ी दूरी बना कर लेट गया।

वो मेरे से बात करने लगी. बात करते करते उसने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया और मुझे अपने ससुराल की ज्यादतियों के बारे में बताने लगी. जब बात करते करते काफी देर हो गयी तो उसने मेरे से पूछा- आपको नींद नहीं आ रही क्या?

मैं बोला- मुझे अकेले नींद नहीं आती! तो वो मेरे पास आते हुए बोली- कोई बात नहीं, हम आपके पास आ जाते हैं. कविता मेरे इतने करीब आ गयी कि मुझसे कण्ट्रोल नहीं हुआ और मैं उसे अपनी बांहों में लेते हुए बोला- मैं तुमसे प्यार करता हूँ. और मैंने एक चुम्बन उसकी गाल पे रख दिया। “Nipples Par Kamuk Chumban”

कविता बोली- कितने दिन लगा दिए आपने ये कहने में … मैं तो कब से आपको चाहने लगी हूँ। इतना सुनते ही मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और हम एक डीप किस करने लगे। जब हमारे होंठ अलग हुए तो उसने मेरी आँखों में देख के मुझे आई लव यू बोला और बोलने लगी- आप में कितना धैर्य है, कब से हम एक बिस्तर पर लेटे हैं पर आपने कोई ऐसी हरकत नहीं की. इसी लिए मैं आप से प्यार करती हूँ।

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मैं बोला- कविता, मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और आज तुम्हें बहुत प्यार करना चाहता हूँ। वो बोली- मैं तो आपकी ही हूँ जी! जो चाहे … करो … मैं तो तुम्हें दिल से अपना मान चुकी हूँ. यह सुनते ही मैं उसके ऊपर आ गया, उसे अपनी बाँहों में भर लिया।

अब मेरे होंठ उसकी गर्दन पे चलने लगे। उसकी गर्दन से चुम्बन करता हुआ मैं उसके होंठों पे आ गया। कभी मैं उसका निचला होंठ अपने होंठों में लेकर चूसता तो कभी ऊपर वाला होंठ चूसता!
फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वो मेरी जीभ को चूसने लगी, मैं उसकी जीभ को चूसने लगा।

हम दोनों बहुत गरम हो चुके थे. तभी मेरे हाथ उसकी पीठ से निकल कर उसके पेट पे चलने लगे पेट से होते हुए मई अपना हाथ टीशर्ट के ऊपर से ही उसके बूब्स पे फिराने लगा। कविता की आँखें बंद हो रही थी और वो मेरे स्पर्श से मदहोश हो रही थी। मैंने उसकी टीशर्ट ऊपर उठा दी और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स पे हाथ फिराने लगा।

मैं उसके कान में बोला- कविता, मैं तुम्हारे बूब्स देखना चाहता हूँ। उसने मेरे को अपनी टीशर्ट निकालने में मदद की. अब वो मेरे सामने ब्रा में थी। दूधिया सा गोरा उसका बदन और उस पर डार्क ब्लू कलर की ब्रा क़यामत लग रही थी। मैं अपने होश हवास खो रहा था।

मैं उसके पेट पे बेहताशा चूमने लगा और वो मादक सिसकारियाँ भरने लगी। मैं उसके पेट से चूमता हुआ उसके बूब्स की तरफ बढ़ रहा था। मैं ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स को चूम रहा था, उसके कंधों पर भी चूम रहा था। फिर मैंने पीछे उसकी कमर में हाथ डाल के उसकी ब्रा के हुक खोल दिए।

मैंने चूमते हुए उसकी ब्रा उसके बदन से अलग की। बिलकुल दूध से गोरे थे उसके बूब्स … न ज्यादा बड़े न छोटे … 34c का साइज। दो बच्चे होने के बावजूद उसके बूब्स बिलकुल भी ढीले न थे। उसके ऊपर ब्राउन कलर के निप्पल्स कहर ढा रहे थे। “Nipples Par Kamuk Chumban”

मैं बोला- तुम्हारे बूब्स बहुत खूबसूरत हैं. और मैंने झुक के दोनों निप्पल्स पे बारी बारी चुम्बन लिया तो उसके मुँह से सी सी की आवाज़ निकली। मैं अपनी जीभ उसके निप्पल्स पे फिराने लगा धीरे धीरे से तो वो सिसकारियाँ भरने लगी। अब एक निप्पल को मैं चूसने लगा तो दूसरे बूब पे हाथ फिराने लगा धीरे धीरे!

बीच बीच में मैं निप्पल को उंगली और अंगूठे के बीच लेकर मसल देता था। इस सब में कविता को भी बहुत मज़ा आ रहा था। मैं बारी बारी से उस के बूब्स को चूस रहा था हौले हौले से। कभी पूरे का पूरा बूब मुँह में लेता तो कविता की सिसकारी निकल जाती।

उसके बूब्स चूसने के बाद मैं धीरे धीरे किसिंग करता हुआ नीचे की तरफ आने लगा, उसके पेट पे चुम्बन किये फिर उसकी नाभि में जीभ डाल के घुमाने लगा वो कसमसाने लगी. फिर मैंने उसके लोअर थोड़ा सा नीचे खिसकाया, उसकी कमर पर किसिंग करने लगा।

मैंने कविता का लोअर और नीचे करना शुरू कर दिया और उसकी जांघों पे चुम्बन करता जा रहा था साथ साथ। उसके घुटनों पे चूमा, फिर उसकी पिंडलियों को चूमता हुआ उसके पैरों तक आ गया। मैंने उसके पैर के अंगूठे को चूमा और फिर मुँह में लेकर चूसने लगा।

अब कविता की हालत खराब हो रही थी, वो जैसे छटपटा रही थी, अपने बूब्स को अपने हाथों से दबा रही थी। इसी छटपटाहट में वो पलट गयी और पेट के बल लेट गयी. मैं उसकी पिंडलियों को चूमता हुआ ऊपर की ओर बढ़ने लगा, उसकी जांघों के पीछे चूमने लगा, वो ज़ोर ज़ोर से आहें भर रही थी.

फिर मैं उसकी पैंटी पर से ही उसके बम्प्स ( चूतड़ों) पे चुम्बन करने लगा। वहां से चूमता हुआ उसकी कमर पे चुम्बन करने लगा, फिर ऊपर बैक और गर्दन पे चूमा। मैंने कविता को पलटा तो उसने मेरे को कस के अपनी बांहों में लिया, मुझसे ऐसे चिपट गयी जैसे कोई बेल शाख से लिपट जाती है। “Nipples Par Kamuk Chumban”

वो मेरे कान में फुसफसा के आई लव यू बोलने लगी. साथ ही इंग्लिश में बोल रही थी- यू अरे अमेजिंग इन लव मेकिंग! मैं उसकी गर्दन से उसके कंधों को चूमता हुआ फिर से उसके बूब्स पे अपने होंठ चलाने लगा.

कविता मेरी टी शर्ट उतारने लगी. मैंने भी हाथ ऊपर करके टी शर्ट उतार दी. अब वो मेरी नंगी पीठ पे अपने हाथ घुमा रही थी. मैं चूमता हुआ उसकी पैंटी को थोड़ा खिसका के उसकी वैस्ट लाइन पे किस करने लगा। फिर मैंने पैंटी के ऊपर से उसकी पुसी पे किस किया तो कविता ज़ोर से कसमसाई.

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फिर मैं पैंटी लाइन से चूमता हुआ उसकी जांघों को अंदर चूमने लगा और हल्का सा कहीं काट भी लेता, इससे कविता की आवाज़ और ज़ोर से निकलती। फिर मैंने धीरे धीरे उसकी पैंटी उतार दी और जो मेरे को देखने को मिला उसे देख कर मेरी आँखें खुली रह गयी। एकदम दूधिया रंग गोरी चूत और बाल का तो नामोनिशान भी नहीं।

जब एक मिनट तक मैंने कोई हरकत नहीं की तो कविता ने आँखें खोल के देखा. मानो पूछ रही हो ‘क्या हुआ रुक क्यों गए?’ मैंने धीरे से उसकी चूत पे किस किया तो उसने सी की आवाज़ की। अब मेरे होंठ उसकी चूत के ऊपर चलने लगे और कविता के मुँह सी उफ़ आह की आवाजें निकलने लगी।

मैंने जैसे ही अपने होंठ उसकी चूत के मुँह पे लगाने चाहे तो कविता ने अपनी जांघें ज़ोर से भींच ली। मैं उसकी जांघों पे किस करने लगा. जैसे ही उसने अपनी टाँगें कुछ ढीली की तो मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया और अपने होंठ उसकी चूत के मुँह पे रख दिए। वो हम्म करने लगी. कविता की साँसें तेज़ी से चलने लगी। “Nipples Par Kamuk Chumban”

मैंने उसकी चूत की एक फांक को अपने होंठों में लिया और चूसने लगा ऐसा ही मैंने उसकी दूसरी फांक को भी किया। वो आह करने लगी. फिर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर डाल दी और नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे की ओर फिराने लगा।

अब कविता से कंट्रोल नहीं हो रहा था, कभी वो मेरा सर पकड़ के चूत पे दबाती तो कभी मेरी जीभ के साथ कमर हिलाने लगती। फिर वो बोली- अब आ जाओ ऊपर! क्यों तड़फा रहे हो प्लीज! मैंने अपना मुँह हटाया और कविता की तरफ देखा तो ऐसा लगा जैसे वो मेरे से विनती कर रही हो कि मैं अब ये बस करूँ और उसके ऊपर आकर उसको चोद कर चरम पे पहुँचा दूँ।

मैं उसके मुँह की तरफ आया और उसके गालों पे किस किया तो वो लोअर के ऊपर से मेरे लण्ड को पकड़ के बोली- अब ये दे दो मुझे, अब मेरी तड़फ मिटा दो। मैंने अपना लोअर उतार दिया साथ में ब्रीफ भी। कविता ने मेरा लण्ड पकड़ लिया और आह करने लगी। मैं उसके ऊपर आया थोड़े सी बूब्स पीये तो कविता से पूछा- कविता, क्या मैं ये तुम्हारे अंदर डाल लूं?

कविता बोली- मैं तो कब से आपकी हो चुकी हूँ, आपको अपना सब कुछ मान लिया है, जो करना चाहते हो कर लो। मैंने अपनी टांगों से कविता की टाँगें खोली और उसकी टांगों के बीच में आ गया और अपना लण्ड पकड़ के उसकी चूत पर रखा और थोड़ा सा ज़ोर लगा चूत के अंदर डाल दिया।

वो लगभग एक साल से चुदी नहीं थी तो चूत थोड़ी टाइट थी, उसको हल्का सा दर्द हुआ तो उसने मुझे दो मिनट रुकने के लिए बोला. मैं अपना मुँह उसके कान के पास लेके गया, उससे बोला- कविता, तुम्हारी चूत बहुत सुन्दर है, एक भी बाल नहीं है.

वो बोली- मैंने आज ही साफ़ किये हैं. और मुस्करा दी। फिर बोली- मैं जानती थी कि आज हमारे बीच सब हदें टूटेंगी क्योंकि तुम्हारी आँखों में मैं अपने लिए प्यार पढ़ चुकी थी और मैं भी तुम्हें चाहने लगी थी. पर तुम ही बुद्धू थे जो मेरे दिल की बात न सुन सके। “Nipples Par Kamuk Chumban”

इसके बाद मैं धीरे धीरे उसको चोदने लगा। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी अपनी बाँहें मेरी कमर के इर्द गिर्द लपेट रखी थी और मुँह से सीत्कार निकाल रही थी। मैं भी बीच में रुक कर उसको किस कर लेता और फिर से चोदना स्टार्ट कर देता। उसने अपनी आँखें खोली और बड़ी नशीली आवाज़ में बोली- एक बात मानोगे मेरी?

मैंने पूछा- क्या?

तो बोली- प्लीज डिस्चार्ज बाहर करना।

मैं बोला- कविता, इस टाइम मैं अपने बस में नहीं हूँ, तुम हो ही इतनी सेक्सी … अगर कण्ट्रोल न कर पाया तो?

वो बोली- यार, अगर मैं प्रेग्नेंट हो गयी तो?

मैं बोला- तो क्या … मेरे प्यार की निशानी को जन्म देना!

वो मुस्करायी- यार, तुम सब जानते हो मेरे बारे में! फिर भी ऐसी बाते कर रहे हो?

मैं बोला- ओके, मैं कोशिश करूंगा बाहर ही डिस्चार्ज करने की!

और मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. इसके साथ ही उसकी सीत्कारें भी बढ़ गयी. उसकी आँखें बंद हो गयी थी और मुँह से आह आह की आवाज़ निकल रही थी। तभी वो आंखें बंद किये ही बोली- सुनो जी, तुम अंदर ही करना! मैं तुम्हें पूरी तरह पाना चाहती हूँ आज की रात … क्या पता इसके बाद ये मौका न मिले।

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इतना सुनते ही मेरी एक्साईटमेंट भी चरम पे पहुँच गयी और मैं उसे लव यू बोलता हुआ तेज़ी से चोदने लगा. थोड़ी देर में उसके मुँह से अस्स अस्स की आवाज़ निकली, बोली- मैं गयी! इधर मैं भी चरम पे था और आह करते हुए उसके अंदर ही अपना वीर्य छोड़ दिया और कविता के ऊपर ही गिर गया। “Nipples Par Kamuk Chumban”

5 मिनट बाद जब थोड़ा होश आया तो मैंने उसके माथे पे चूमा और उसके ऊपर से उठ के साइड में आया. वो अभी भी आँखें बंद किये लेटी थी। थोड़ी देर बाद उसने अपनी आँखें खोली और मुझसे लिपट गयी, मेरे होंठो पे किस किया और मुझे थैंक्स बोलने लगी।

मैंने पूछा- थैंक्स किस लिए?

तो बोली- मुझे आज पहली बार प्यार मिला! नहीं तो मेरा हस्बैंड सिर्फ अपनी प्यास बुझाने से मतलब रखता था.

हम बेड की बैक से पीठ टिका के बैठ गए। कविता ने कम्बल को अपने ऊपर तक खींच लिया था। कंबल के अंदर हम दोनों ही बिलकुल निवस्त्र थे। कविता ने मेरे कंधे से सर टिका लिया और मैं अपने एक हाथ की उंगलियाँ उसके बालों में फिराने लगा।

कविता बोली- मैं तुमसे ज़िन्दगी में कुछ भी नहीं एक्सपेक्ट करती, ना करूंगी! बस तुम मेरे को प्यार और इज्जत देते रहना।

मैंने भी उसे हाँ बोला और उसे अपनी बांहों में ले लिया और किस करने लगा। उस रात हमने एक बार और चुदाई की, फिर कपड़े पहन कर सो गए। सुबह उठ कर तैयार हो कर हम अपने सफर पे चल पड़े। अब मेरा और कविता के बीच सब कुछ बदल चुका था, हमारा रिश्ता बदल चुका था। दो दिन हम बाहर ही रहे एक कपल की तरह। आते वक़्त कविता ने मुझे ये दो खूबसूरत दो दिन देने के लिए थैंक्स बोला और मुझसे फिर ना मिलने के लिए बोलने लगी. पर मैंने उसे दोबारा मिलने के लिए और यह रिश्ता बनाये रखने के लिए मना ही लिया।

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